Himachal News: महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रदेश के सभी प्रारंभिक शिक्षा केंद्रों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने हिमाचल प्रदेश प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा केंद्र अधिनियम, 2017 के तहत यह नियम बनाए हैं। फाइल को मंजूरी के लिए सरकार के पास भेज दिया गया है।
विधि विभाग से कानूनी राय मिलने के बाद इन नियमों की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। इसके बाद सभी क्रेच, प्ले स्कूल, डे-केयर सेंटर, केजी, नर्सरी स्कूल या बालबाड़ी का पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा। यह कदम बच्चों के समग्र विकास और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
सोलन से मिली शिकायत के बाद कड़े कदम
विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने बताया कि सोलन जिले से शिकायत मिली थी। शिकायत में कहा गया था कि कई स्कूल बिना पंजीकरण के ईसीसीई केंद्र चला रहे हैं। इससे तीन से छह वर्ष के बच्चों के विकास पर बुरा असर पड़ रहा था। उनकी सुरक्षा भी खतरे में थी। इस शिकायत के बाद विभाग ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी।
बच्चों को शारीरिक दंड पर पाबंदी
नए नियमों के तहत संस्थान बच्चों को किसी भी तरह का शारीरिक दंड नहीं दे पाएंगे। विभाग ने अभिभावकों से अपील की है कि अगर कोई ऐसा करता दिखे तो चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर शिकायत करें। साथ ही स्कूल परिसर में पोक्सो एक्ट के प्रावधानों वाला बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा। इससे बच्चों के साथ होने वाले किसी भी दुर्व्यवहार पर रोक लगेगी।
ये हैं नए नियमों के प्रमुख प्रावधान
ईसीसीई कार्यक्रम की अवधि केवल तीन से चार घंटे की होनी चाहिए। संस्थानों में प्रशिक्षित स्टाफ की नियुक्ति करना जरूरी है। किसी भी बच्चे से प्रवेश परीक्षा या लिखित और मौखिक टेस्ट नहीं लिया जाएगा। प्रवेश प्रक्रिया में जाति, धर्म, लिंग या दिव्यांगता के आधार पर भेदभाव वर्जित है।
स्कूल परिसर पूरी तरह सुरक्षित, स्वच्छ और बच्चों के अनुकूल होना चाहिए। परिसर में सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था होनी जरूरी है। बच्चों के लिए अलग शौचालय और हाथ धोने की उचित सुविधा होगी। फर्स्ट एड किट की उपलब्धता भी अनिवार्य है। साथ ही प्राथमिक उपचार किट हमेशा मौजूद रहेगी।
स्टाफ और बच्चों का अनुपात तय
तीन से छह वर्ष के आयु वर्ग में एक वयस्क पर बीस बच्चे होंगे। तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यह अनुपात एक वयस्क पर दस बच्चों का होगा। किसी भी बच्चे के साथ शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न बिल्कुल नहीं किया जाएगा। सभी कर्मचारियों का पुलस सत्यापन और मेडिकल जांच अनिवार्य है।
केंद्र और उससे जुड़ी सभी सुविधाओं में हानिकारक उपकरण नहीं होने चाहिए। नुकीले फर्नीचर या कोई भी खतरनाक वस्तु बच्चों की पहुंच से दूर रहेगी। इन सभी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए विभाग की टीम निरीक्षण करेगी। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नए नियमों का उद्देश्य
इन नियमों का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के छोटे बच्चों को बेहतर वातावरण देना है। उनकी शिक्षा और सुरक्षा दोनों पर ध्यान दिया जाएगा। अभिभावक अब निश्चिंत हो सकते हैं कि उनके बच्चे सुरक्षित हाथों में हैं। सरकार की यह पहल बचपन संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा।
