Uttar Pradesh News: अछल्दा में डीएफसी रेलवे लाइन पर सात साल की रोशनी को ट्रेन से कटने से लोगों ने बचाया। बच्ची ने बताया कि पिता संतोष राजपूत उसे मारते हैं, बांधकर छोड़ देते हैं और स्कूल नहीं भेजते। उसकी दर्दभरी कहानी सुनकर लोग भावुक हो गए। स्थानीय युवा चंदन राजपूत ने उसे गोद लेने की इच्छा जताई। पुलिस ने बच्ची को पिता को सौंप दिया, लेकिन चेतावनी भी दी। यह घटना दिल दहलाने वाली है।
बच्ची की मार्मिक कहानी
रोशनी ने पुलिस को बताया कि पिता उसे लगातार पीटते हैं। एक दिन पहले उसे छत से धक्का दे दिया, जिससे खून बहता रहा। उसने सुना कि लोग गुस्से में ट्रेन से कटकर मर जाते हैं, इसलिए वह मरने निकली। उसकी मां मानसिक रूप से अस्वस्थ और गर्भवती है। रोशनी की पढ़ाई की इच्छा देखकर चंदन ने उसे स्कूल में दाखिला दिलवाया। यह कहानी हर किसी को झकझोर रही है।
चंदन राजपूत की पहल
बजरंग नगर के चंदन राजपूत, जो टेलर और किसान हैं, रोशनी की कहानी सुनकर भावुक हुए। उन्होंने संतोष के खिलाफ शिकायत दर्ज की और रोशनी को गोद लेने की इच्छा जताई। चंदन ने बच्ची का अंग्रेजी मीडियम स्कूल में दाखिला कराया और नए कपड़े दिलवाए। उनके पास एक बेटा है, और वे बेटी की चाहत रखते हैं। इस पहल ने स्थानीय लोगों में उम्मीद जगाई, लेकिन कानूनी अड़चनें आड़े आईं।
पुलिस का हस्तक्षेप
अछल्दा थाने के एसओ रमेश सिंह ने बताया कि संतोष ने लिखित में रोशनी को चंदन को देने की सहमति दी। लेकिन यह प्रक्रिया कानूनी नहीं थी। इसलिए बच्ची को पिता को सौंपा गया। पुलिस ने संतोष को सख्त चेतावनी दी। राहुल और मोहर सिंह ने बच्ची को रेलवे लाइन पर देखकर तुरंत पीआरवी को सूचना दी थी। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने बच्ची की जान बचाई, लेकिन परिवार की स्थिति चिंताजनक है।
परिवार की आर्थिक तंगी
संतोष राजपूत के पांच बच्चे हैं। आर्थिक तंगी के कारण वह बच्चों का पालन-पोषण नहीं कर पाते। पत्नी की मानसिक स्थिति खराब होने से उनकी मुश्किलें बढ़ी हैं। संतोष ने दावा किया कि वे रोशनी को चंदन को देना चाहते थे, लेकिन कानूनी प्रक्रिया के अभाव में ऐसा नहीं हुआ। यह मामला बाल उत्पीड़न और गरीबी की गंभीर समस्या को उजागर करता है। स्थानीय लोग बच्ची के भविष्य के लिए चिंतित हैं।
