Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चंबा जिले के चार बेसहारा बच्चों के जीवन में नया अध्याय जोड़ा है। मुख्यमंत्री ने सलूणी उपमंडल के भटवाड़ गांव के इन बच्चों से वीडियो कॉल के माध्यम से सीधी बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए तत्काल महत्वपूर्ण फैसले लिए।
बड़ी बेटी की पढ़ाई फिर से शुरू करने का आश्वासन
वीडियोकॉल में मुख्यमंत्री को पता चला कि बड़ी बेटी ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी है। उसने दसवीं कक्षा के बाद स्कूल जाना बंद कर दिया था। मुख्यमंत्री ने उसे स्नेहपूर्वक समझाया कि उसे पढ़ाई जारी रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने से ही उसे अच्छी नौकरी मिल सकेगी।
सरकारी हॉस्टल में रहने और पढ़ने की व्यवस्था
मुख्यमंत्रीने स्पष्ट किया कि सरकार चारों बच्चों की पूरी शिक्षा का खर्च उठाएगी। उन्होंने बच्चों को सरकारी हॉस्टल में रहने की सलाह दी। इससे उन्हें भोजन और आवास की चिंता नहीं रहेगी। उन्होंने बड़ी बेटी को आश्वासन दिया कि हॉस्टल में अन्य लड़कियां भी रहती हैं। वहां वह पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।
परिवार के जमीन के कर्ज का समाधान
बच्चोंने मुख्यमंत्री को बताया कि उनकी जमीन पर पिचानवे हजार रुपये का कर्ज है। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें तुरंत चिंता न करने को कहा। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी जमीन कोई नहीं लेगा। सरकार इस समस्या का उचित समाधान निकालेगी। बच्चों को अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
चेन्नई में काम कर रहे भाई की मदद का वादा
मुख्यमंत्रीने बच्चों के चेन्नई में काम कर रहे भाई की भी मदद करने का वादा किया। उन्होंने कहा कि सरकार उसकी समस्याओं का समाधान ढूंढेगी। यदि संभव हुआ तो उसे हिमाचल प्रदेश वापस लाने में भी मदद की जाएगी। इससे पूरा परिवार एक साथ रह सकेगा। सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
परिवार की दर्दनाक कहानी और संघर्ष
भजोतरापंचायत के भटवाड़ गांव के इन बच्चों की कहानी बेहद दुखद है। वर्ष 2021 में पिता की मृत्यु के बाद मां भी बच्चों को छोड़कर चली गई। घर की बड़ी बेटी को अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल के लिए पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार गहन आर्थिक संकट और भारी कर्ज में फंस गया। बच्चों का भविष्य अनिश्चितता के घेरे में था।
सरकार ने बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ स्टेट’ घोषित किया
हिमाचल प्रदेश सरकार नेइन चारों बच्चों को राज्य के बच्चे घोषित कर दिया है। इसका मतलब है कि अब राज्य सरकार उनकी पूरी जिम्मेदारी लेगी। बच्चों की शिक्षा और रहन-सहन का सारा खर्च सरकार वहन करेगी। सत्ताईस वर्ष की आयु तक उन्हें मासिक वजीफा भी मिलेगा। इसके बाद उनकी शादी का खर्च भी सरकार उठाएगी।
मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत पहल का महत्व
मुख्यमंत्रीका यह कदम सामाजिक सुरक्षा और संवेदनशील शासन को दर्शाता है। तकनीक का उपयोग करते हुए उन्होंने दूरदराज के गांव के बच्चों से सीधा संपर्क स्थापित किया। इससे बच्चों की वास्तविक समस्याओं का त्वरित समाधान संभव हुआ। प्रशासनिक प्रक्रियाओं में मानवीय संवेदनशीलता की आवश्यकता को यह घटना रेखांकित करती है।
