Madhya Pradesh News: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पंचायत सचिवों पर टिप्पणी राजनीतिक विवाद बन गई है। भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित सरपंच महासम्मेलन में सीएम ने कहा कि सचिव काम नहीं करेंगे तो उन्हें हटा देंगे। उन्होंने कहा कि इनकी औकात क्या है और दिक्कत आएगी तो ठीक करेंगे। इस बयान पर अब कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री के बयान को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के सचिवों का अपमान है। सरपंचों के कार्यक्रम में तालियाँ बटोरने के लिए पंचायत सचिवों को गाली देना ठीक नहीं है। उन्होंने माफी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी।
सरपंचों को मिले नए अधिकार
मोहन यादव सरकार ने सरपंच महासम्मेलन में बड़ा फैसला किया। सरपंचों को अब 25 लाख रुपये तक के कामों का अधिकार दिया गया है। यह फैसला पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए लिया गया है। सरपंच अब अपनी पंचायत में इस राशि तक के काम सीधे करा सकेंगे।
पंचायती राज मंत्री प्रहलाद पटेल ने बताया कि पहले सरपंचों को छोटे-बड़े कामों के लिए जिला पंचायत तक जाना पड़ता था। अब यह प्रक्रिया सरल बना दी गई है। इससे स्थानीय स्तर पर कामों में तेजी आएगी और विकास कार्यों को गति मिलेगी।
सरपंचों की शिकायतों पर प्रतिक्रिया
सरपंच महासम्मेलन के दौरान कई सरपंचों ने सचिवों और सहायकों की शिकायत की। उन्होंने बताया कि सचिव उनकी बात नहीं सुनते और काम नहीं करते। इस पर मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर सचिव काम नहीं करेंगे तो उन्हें हटा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में उनके अधिकारों के बारे में बता रहे थे। उन्होंने वर्ष 2026 को कृषि वर्ष घोषित करने की भी घोषणा की। इसका उद्देश्य पंचायतों में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री के बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए। ग्राम सरकारों के अधिकार छीनना और प्रदेशवासियों को गाली देना जनता का अपमान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर माफी नहीं मांगी गई तो कांग्रेस सड़क पर उतरेगी।
इस विवाद ने राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। विपक्ष सरकार पर हमलावर है जबकि सत्ता पक्ष के लोग मुख्यमंत्री के बयान का बचाव कर रहे हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और बहस होने की संभावना है।
यह घटना प्रदेश की राजनीति में नया विवाद बन गई है। सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ी हुई है। पंचायती राज व्यवस्था में सुधार के सरकार के प्रयासों पर यह विवाद छाया हुआ है। दोनों पक्ष अपने-अपने तर्कों के साथ मैदान में हैं।
