National News: जस्टिस सूर्यकांत को भारत का 53वां प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया जाएगा। वह 24 नवंबर को अपना पदभार संभालेंगे। केंद्रीय कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की। जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस भूषण आर. गवई का स्थान लेंगे।
जस्टिस गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। नए सीजेआई लगभग पंद्रह महीने तक इस पद पर रहेंगे। वह 9 फरवरी 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की। राष्ट्रपति ने संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह नियुक्ति की।
जस्टिस सूर्यकांत का न्यायिक सफर
जस्टिस सूर्यकांत के फैसलों में सामाजिक संवेदनशीलता स्पष्ट झलकती है। उन्होंने भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले दिए। पीड़ितों के अधिकार और आरक्षण नीति पर उनके निर्णयों की व्यापक सराहना हुई। नागरिक स्वतंत्रता और संविधान की मर्यादा बनाए रखने में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा।
9 जनवरी 2004 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। बाद में 5 अक्टूबर 2018 को वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। कोर्ट प्रशासन और न्यायिक सुधारों में उनकी भूमिका सराहनीय रही।
सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
24 मई 2019 को जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। तब से वह कई महत्वपूर्ण संवैधानिक बेंचों का हिस्सा रहे। उन्होंने विश्वविद्यालयों और सरकारी निगमों के महत्वपूर्ण मामलों में पैरवी की। हाईकोर्ट की ओर से भी उन्होंने कई अहम मामलों का प्रतिनिधित्व किया।
उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा। वह लगभग सवा दो साल तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे। इस दौरान उनके सामने कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे आ सकते हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी होगी।
शिक्षा और प्रारंभिक करियर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में हुआ। उन्होंने गांव के स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।
उन्होंने हिसार जिला अदालत में वकालत की शुरुआत की। 1985 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। उनकी कानूनी समझ और मजबूत दलीलों ने उन्हें तेजी से सफलता दिलाई। वह बहुत कम उम्र में ही महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच गए।
युवा एडवोकेट जनरल से सीजेआई तक
7 जुलाई 2000 को जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने। अगले ही वर्ष उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला। इसने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें यह मुकाम दिलाया।
भारत में सीजेआई की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर होती है। मौजूदा सीजेआई से कानून मंत्री उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगते हैं। जस्टिस सूर्यकांत इस पद के स्वाभाविक दावेदार थे। सरकार की मंजूरी के बाद अब वह सर्वोच्च न्यायपालिका की कमान संभालेंगे।
