शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट: शारीरिक संबंध से इनकार करना मानसिक क्रूरता, 11 साल के अलगाव के बाद तलाक मंजूर

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना मानसिक क्रूरता मानी जाएगी। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया और पति की तलाक की अपील मंजूर कर ली। पति को पत्नी को बीस लाख रुपये गुजारा भत्ता देना होगा।

जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि ग्यारह साल के लंबे अलगाव और शारीरिक संबंध के लिए अनिच्छा मानसिक क्रूरता है। पति को दो महीने के अंदर यह राशि अदा करनी होगी। दोनों पक्षों के बीच वैवाहिक जीवन समाप्त माना गया।

11 साल से अलग थे पति-पत्नी

मामला अंबिकापुर का है। 45 वर्षीय पति की शादी 30 मई 2009 को रायपुर की एक महिला से हुई थी। पति का आरोप था कि पत्नी शादी के एक महीने बाद ही मायके चली गई। वर्ष 2013 में पत्नी कुछ दिनों के लिए साथ रही लेकिन शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती रही।

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पत्नी ने धमकी दी कि अगर पति ने शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की तो वह आत्महत्या कर लेगी। मई 2014 से पत्नी लगातार मायके में रह रही है। पति के प्रयासों के बावजूद वह वापस नहीं लौटी। उसने पति या उसके परिवार से कोई संपर्क नहीं रखा।

पत्नी के भी थे आरोप

पत्नी ने पति के आरोपों को निराधार बताया। उसने कहा कि पति एक साध्वी के भक्त हैं और योग साधना में लीन रहते हैं। पति वैवाहिक संबंधों में रुचि नहीं रखते थे और बच्चे नहीं चाहते थे। पत्नी ने मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के आरोप लगाए।

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पत्नी ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए अर्जी दायर की थी। बाद में उसने यह अर्जी वापस ले ली। फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद पति ने हाईकोर्ट में अपील की।

हाईकोर्ट ने दी राहत

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के बयान और रिकॉर्ड का अध्ययन किया। कोर्ट ने पाया कि पति-पत्नी ग्यारह साल से अलग रह रहे हैं। पत्नी ने क्रॉस एग्जामिनेशन में स्वीकार किया कि वह वैवाहिक जीवन जारी नहीं रखना चाहती।

कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे अलगाव और संबंधों में लौटने से स्पष्ट इनकार मानसिक क्रूरता है। डिवीजन बेंच ने पति की तलाक अपील स्वीकार कर ली। पति को पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया। यह फैसला वैवाहिक विवादों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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