Bihar News: छठ पूजा के पावन पर्व पर बिहार में एक के बाद एक डूबने की दर्दनाक घटनाओं ने पूरे राज्य को सदमे में डाल दिया। राज्य के विभिन्न जिलों में नदियों और तालाबों में कम से कम 86 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि हुई है। ये हादसे मुख्य रूप से नहाय-खाय और अर्घ्य देने के दौरान घटित हुए। तेज पानी का बहाव और अचानक गहरा पानी इन मौतों की प्रमुख वजह बताई जा रही है।
पटना जिले में सबसे ज्यादा 13 लोगों ने गंवाई जान। मोकामा, बिहटा और खगौल जैसे इलाकों से डूबने की खबरें आईं। मोकामा के बादपुर गांव की घटना ने सबको हिला दिया। यहां रॉकी पासवान नदी में डूब गए। उनकी मौत की खबर सुनते ही उनकी बहन सपना कुमारी ने सदमे के कारण दम तोड़ दिया। इस तरह एक ही परिवार पर दोहरी मार पड़ी।
उत्तर बिहार के जिलों से कुल 26 मौतों की सूचना मिली। इनमें मुजफ्फरपुर, मधुबनी और सीतामढ़ी जैसे जिले शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि जान गंवाने वालों में अधिकतर बच्चे और किशोर थे। ये बच्चे घाटों पर अपने परिवार के साथ पूजा करने आए थे। कई मामलों में घाट की सफाई या दीपदान के दौरान बच्चे फिसलकर गहरे पानी में चले गए।
कोसी और सीमांचल क्षेत्र में सबसे ज्यादा मौतें
कोसी और सीमांचल इलाके में हालात सबसे ज्यादा दर्दनाक रहे। इस क्षेत्र के जिलों से 32 लोगों के डूबने की पुष्टि हुई। मधेपुरा और भागलपुर में सबसे ज्यादा सात-सात लोगों की जान गई। पूर्णिया में चार और सहरसा में तीन लोगों की मौत हुई। कई जगहों पर छठ का अर्घ्य देने के बाद भी लोग अपने लापता परिजनों को तलाशते रहे। स्थानीय गोताखोर और प्रशासनिक टीमें देर रात तक खोजबीन में जुटी रहीं।
नालंदा और वैशाली जिलों में भी हादसों ने जान ली। यहां कुल 15 लोगों की मौत की सूचना है। नालंदा के हिलसा क्षेत्र में लोकाइन नदी में तीन लोग डूब गए। वैशाली में आठ लोगों की जान गई। गोपालगंज में एक तालाब में दो चचेरे भाई डूबने से मारे गए। गया जिले के नदौरा गांव में भी एक युवक की मौत की खबर आई।
प्रशासन की तैयारी पर उठे सवाल
राज्य सरकार ने पहले से ही सुरक्षा के निर्देश जारी किए थे। फिर भी इतने बड़े पैमाने पर हादसे होने ने सवाल खड़े कर दिए हैं। असुरक्षित घाट और रोशनी की कमी प्रमुख समस्याएं रहीं। नावों पर कर्मियों की कमी और लोगों की लापरवाही भी घटनाओं का कारण बनी। प्रशासन ने हादसों की समीक्षा शुरू कर दी है। पीड़ित परिवारों का मानना है कि छठ जैसे बड़े त्योहार पर सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी साबित हुए।
पूरे बिहार में छठ के घाटों का माहौल गमगीन रहा। डूबते सूरज को अर्घ्य देने के बाद कई घाटों पर शोक की लहर दौड़ गई। परिजन अपनों की लाश की प्रतीक्षा में रोते-बिलखते नजर आए। व्रती महिलाओं के आस्था के गीतों के बीच कई घरों के दीपक हमेशा के लिए बुझ गए। यह त्रासदी बिहार के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है।
