International News: कंबोडिया के रहस्यमय उद्योगपति चेन ज़ी पर अमेरिकी न्याय विभाग ने गंभीर आरोप लगाए हैं। अमेरिका का कहना है कि चेन ज़ी ने दुनिया भर के लोगों से अरबों डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी चुराई है। अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने 14 अरब डॉलर मूल्य के बिटकॉइन जब्त किए हैं।
यह अब तक की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी जब्ती मानी जा रही है। चेन ज़ी की कंपनी प्रिंस ग्रुप को कंबोडिया का अग्रणी व्यावसायिक समूह बताया जाता था। अब इस पर अंतरराष्ट्रीय घोटाले का आरोप लग रहा है।
चेन ज़ी का तेजी से उदय
चेन ज़ी ने 2015 में मात्र 27 वर्ष की आयु में प्रिंस ग्रुप की स्थापना की। वह चीन के फ़ुज़ियान प्रांत से ताल्लुक रखते हैं। 2010 के अंत में वह कंबोडिया चले गए थे। कंबोडिया में प्रॉपर्टी बाजार के उछाल ने उन्हें तेजी से आगे बढ़ने का मौका दिया।
2014 में उन्होंने अपनी चीनी नागरिकता छोड़कर कंबोडियाई नागरिकता ले ली। इससे उन्हें जमीन खरीदने में आसानी हुई। बाद में उन्होंने साइप्रस और वानुअतु की नागरिकता भी हासिल की। इससे उन्हें यूरोपीय संघ में आसान प्रवेश मिल गया।
व्यापारिक साम्राज्य का विस्तार
चेन ज़ी ने कंबोडिया में तेजी से अपना व्यापारिक साम्राज्य फैलाया। उन्होंने प्रिंस बैंक की स्थापना की और बैंकिंग लाइसेंस हासिल किया। उनकी कंपनी ने कंबोडिया की तीसरी एयरलाइन शुरू की। नोम पेन्ह में लग्ज़री मॉल और सिहानोकविले में पांच सितारा होटल बनाए।
उन्होंने 16 अरब डॉलर की “बे ऑफ लाइट्स” इको-सिटी परियोजना शुरू की। 2020 में उन्हें कंबोडिया के राजा की ओर से सर्वोच्च उपाधि “नेक ओकन्हा” से सम्मानित किया गया। यह उपाधि कम से कम पांच लाख डॉलर दान देने पर मिलती है।
राजनीतिक कनेक्शन और प्रभाव
चेन ज़ी कंबोडिया की सत्ताधारी हुन सेन परिवार के काफी करीबी रहे। वह गृह मंत्री सर खेंग के आधिकारिक सलाहकार बने। बाद में वह हुन सेन के बेटे हुन मानेट के भी सलाहकार नियुक्त हुए। हुन मानेट अब देश के प्रधानमंत्री हैं।
स्थानीय मीडिया में चेन ज़ी को परोपकारी व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने छात्रवृत्तियां दीं और कोविड महामारी में दान दिया। लेकिन वह हमेशा सुर्खियों से दूर और रहस्यमय बने रहे। वह कम ही सार्वजनिक बयान देते थे।
अमेरिका और ब्रिटेन की कार्रवाई
अमेरिका और ब्रिटेन ने चेन ज़ी और प्रिंस ग्रुप पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। 128 कंपनियों और 17 लोगों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। आरोप है कि यह समूह ऑनलाइन धोखाधड़ी, मानव तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है।
अमेरिका का दावा है कि चेन ज़ी ने न्यूयॉर्क में संपत्तियां, निजी जेट और पिकासो की पेंटिंग खरीदी। ब्रिटेन में उन्होंने लंदन में 1.2 करोड़ पाउंड की हवेली और 9.5 करोड़ पाउंड की ऑफिस बिल्डिंग खरीदी। इन खरीदारियों के लिए धन अवैध स्रोतों से आया।
घोटाले के तरीके और पीड़ित
जांचकर्ताओं के अनुसार घोटाले में फर्जी कंपनियों और क्रिप्टो वॉलेट्स का जाल बनाया गया। धन को उसके मूल स्रोत को छिपाने के लिए स्थानांतरित किया गया। गोल्डन फॉर्च्यून साइंस एंड टेक्नोलॉजी पार्क इस घोटाले का प्रमुख केंद्र था।
पत्रकार जैक एडमोविच डेविस ने तीन साल तक इस मामले की जांच की। उनके मुताबिक इस परिसर से भागने की कोशिश करने वालों की बेरहमी से पिटाई की गई। लोगों को ऑनलाइन घोटाले करने के लिए मजबूर किया गया। चीनी, वियतनामी और मलेशियाई लोग शिकार बने।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और वर्तमान स्थिति
प्रतिबंधों के बाद कई देशों ने कार्रवाई शुरू की। सिंगापुर और थाईलैंड ने प्रिंस की सहायक कंपनियों की जांच का वादा किया। दक्षिण कोरिया ने 64 मिलियन डॉलर जब्त किए। कंबोडिया ने अमेरिका और ब्रिटेन से सबूत मांगे हैं।
चेन ज़ी प्रतिबंधों की घोषणा के बाद से लापता हैं। कभी कंबोडिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में शामिल यह उद्योगपति अब कहीं नजर नहीं आ रहा। उनके व्यापारिक साम्राज्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कंबोडियाई सेंट्रल बैंक ने लोगों को प्रिंस बैंक से पैसा निकालने की अनुमति दी है।
