Shimla News: हिमाचल प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही सस्ती हवाई सेवा योजना संकट में है। उड़ान योजना के तहत शिमला-धर्मशाला व शिमला-कुल्लू हवाई मार्गों पर एलायंस एयर की उड़ानें लगभग खाली हैं। विमानन कंपनी एलायंस एयर के हवाई जहाज दोनों हवाई मार्गों पर इक्का-दुक्का यात्रियों को लेकर उड़ रहे हैं।
उड़ान योजना के तहत रियायती किराए पर भी हवाई सफर में यात्रियों की दिलचस्पी न के बराबर होने की वजह से अफसरों के साथ-साथ विमानन कंपनी भी हैरान हैं। यात्रियों की संख्या न बढ़ने की स्थिति में सरकार दोनों मार्गों पर उड़ान योजना की दो माह बाद समीक्षा कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उड़ान योजना की शुरूआत शिमला से की थी।
योजना के तहत पहले पहल शिमला-दिल्ली हवाई मार्ग पर भी यात्रियों की संख्या कम रही, मगर अब इस मार्ग पर यात्रियों को उड़ान योजना के तहत रियायती टिकट पर हवाई यात्रा के लिए रुचि बढ़ी है और यात्रियों को अब टिकट के लिए सप्ताहभर भी इंतजार करना पड़ रहा है। शिमला-दिल्ली मार्ग के बाद सरकार ने धर्मशाला-शिमला व शिमला-कुल्लू मार्गों पर उड़ान योजना के तहत हवाई सेवा प्रारंभ करने के लिए एलायंस एयर के साथ करार किया है।
इसके लिए 11 करोड़ की रकम सालाना वायबेलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के तौर पर रखी गई। अर्थात विमानन कंपनी को इन मार्गों पर हवाई उड़ान में घाटा होने पर सरकार वीजीएफ के जरिए इसे पूरा करेगी। मगर दोनों ही हवाई मार्गों पर उड़ान में यात्रियों की दिलचस्पी न के बराबर है। लिहाजा बीते दिनों पर्यटन एवं नागरिक उड्डन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मामला मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया। मुख्यमंत्री ने दो माह तक उड़ान योजना को देखने के बाद इसकी समीक्षा की बात कही है।
उड़ान योजना के तहत दोनों मार्गों पर हवाई जहाज से यात्रा करने वालों में सरकारी अधिकारी या फिर विधायक ही होते हैं। शिमला से दोनों स्थानों के लिए रविवार को छोडक़र बाकी छह दिन उड़ानें होती हैं। जानकारों का कहना है कि यदि विधायकों व सरकार के अधिकारियों को हवाई जहाज से यात्रा की औपचारिक स्वीकृति मिलती है तो दोनों स्थानों के लिए सीटों की संख्या बढ़ सकती है।
जानकारी के मुताबिक राज्य की पूर्व व वर्तमान सरकार में अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशासनिक कार्यों के लिए हवाई यात्रा की सुविधा प्रदान करने की फाइल दो मर्तबा चल चुकी है। हालांकि सरकार की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए इसकी अनुमति मिलने की उम्मीद भी कम है।