National News: केंद्र सरकार संविधान (131 वां संशोधन) विधेयक, 2025 संसद में पेश करने वाली है। इसका मुख्य उद्देश्य चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत लाना है। यह अनुच्छेद उन केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होता है जहां विधानसभा नहीं होती।
इसके तहत राष्ट्रपति सीधे नियम बना सकेंगे जिनका कानून जैसा प्रभाव होगा। विधेयक आगामी शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है। यह सत्र एक दिसंबर से शुरू हो रहा है।
संशोधन के प्रभाव
संसदीय दस्तावेजों के अनुसार चंडीगढ़ को अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप जैसी स्थिति मिलेगी। अनुच्छेद 240 के तहत बनाए गए नियम संसद के कानूनों के समान माने जाएंगे। इससे चंडीगढ़ का प्रशासनिक नियंत्रण केंद्र के पास चला जाएगा।
वर्तमान में चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल के हाथों में है। उन्हें एक जून 1984 से शहर का प्रशासक बनाया गया है। नया संशोधन इस व्यवस्था को बदल देगा।
पंजाब की प्रतिक्रिया
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस प्रस्ताव को गहरा अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम चंडीगढ़ को पंजाब से दूर करने की साजिश जैसा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब मूल राज्य है और चंडीगढ़ पर उसका ऐतिहासिक अधिकार है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव संघीय ढांचे को कमजोर करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चंडीगढ़ पहले भी पंजाब का था और आज भी उसी का है।
राजनीतिक दलों का रुख
कांग्रेस ने इस विधेयक का विरोध करने का ऐलान किया है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने इसे पूरी तरह अनुचित बताया। उन्होंने भाजपा नेताओं से स्पष्ट रुख रखने की मांग की।
शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव 1970 के समझौते का उल्लंघन है। अकाली दल ने इस मुद्दे पर आपात बैठक बुलाई है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
वर्ष 2016 में केंद्र ने अलग प्रशासक नियुक्त करने की योजना बनाई थी। पंजाब के सभी दलों के भारी विरोध के बाद यह फैसला वापस लेना पड़ा। राजीव-लोंगोवाल समझौता अब तक पूरी तरह लागू नहीं हुआ है।
नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी एसोसिएशन ने भी प्रस्ताव पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि यह पंजाब के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। विदेशों में बसे पंजाबी संगठनों ने भी चिंता जताई है।
वर्तमान स्थिति
इस मुद्दे ने पंजाब में ऐसा माहौल बना दिया है जहां सभी दल एक मंच पर हैं। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अकाली दल तीनों केंद्र के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। सभी का कहना है कि वे हर स्तर पर इसकी चुनौती देंगे।
संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद चंडीगढ़ का प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह बदल जाएगा। इससे पंजाब और केंद्र के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को नया आयाम मिलेगा। आगामी संसद सत्र में इस पर जोरदार बहस होने की उम्मीद है।
