Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चंडीगढ़ को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चंडीगढ़ पर हिमाचल प्रदेश का भी उतना ही अधिकार है जितना पंजाब और हरियाणा का है। यह बयान केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ को पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश बनाने की चर्चाओं के बीच आया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू रविवार को आनंदपुर साहिब में गुरुद्वारा शीशगंज साहिब पहुंचे थे। यहां उन्होंने शहीदी शताब्दी कार्यक्रम में भाग लिया। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने चंडीगढ़ मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
पंजाब पुनर्गठन का हवाला
सीएम सुक्खू ने अपने बयान में ऐतिहासिक तर्क प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पंजाब के पुनर्गठन के समय हरियाणा राज्य अस्तित्व में आया। ठीक उसी तर्ज पर हिमाचल प्रदेश भी बना था। इसलिए चंडीगढ़ पर हिमाचल के अधिकारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
उन्होंने जोर देकर कहा कि चंडीगढ़ पर हिमाचल प्रदेश का वैधानिक दावा है। यह दावा ऐतिहासिक और संवैधानिक आधार पर आधारित है। किसी भी निर्णय से पहले हिमाचल के हितों को ध्यान में रखना जरूरी है। राज्य सरकार इस मुद्दे पर सजग है।
गुरु तेग बहादुर के बलिदान को नमन
मुख्यमंत्री ने गुरु तेग बहादुर के बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा कि नौवें पातशाह ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना जीवन दिया। यह बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। पूरी मानवता उनके इस त्याग को सदैव याद रखेगी।
गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने मुख्यमंत्री सुक्खू का विशेष सम्मान किया। ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर नालागढ़ के विधायक हरदीप बावा और ऊना के विधायक विवेक शर्मा भी मौजूद थे। दोनों विधायकों को भी सम्मानित किया गया।
राजनीतिक महत्व
मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चंडीगढ़ के भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज हैं। केंद्र सरकार शहर को पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर विचार कर रही है। इस प्रस्ताव का पंजाब और हरियाणा में व्यापक विरोध हो रहा है।
अब हिमाचल प्रदेश ने भी अपना दावा पेश कर दिया है। इससे मामला और जटिल हो गया है। तीनों राज्यों के बीच चंडीगढ़ को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। हिमाचल के इस नए दावे ने इस विवाद को नया मोड़ दे दिया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू के इस बयान ने हिमाचल की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया का इंतजार है। केंद्र सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है यह देखना महत्वपूर्ण होगा। आने वाले दिनों में इस विषय पर और चर्चा होने की संभावना है।
