Chamba News: चंबा जिले की सनवाल पंचायत के प्रधान समेत सभी सदस्यों को बर्खास्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई सेब के पौधों की खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में की गई है। उपायुक्त मुकेश रेप्सवाल ने यह आदेश जारी किया। पंचायत को भंग करने की भी सिफारिश की गई है।
घोटाले का पूरा मामला
यह मामलावर्ष 2022 में एक शिकायत के बाद उजागर हुआ था। मनरेगा योजना के तहत पौधरोपण के आठ कार्य स्वीकृत किए गए थे। इन कार्यों पर लगभग सवा करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। जांच में पाया गया कि जितने पौधे लगाए जाने थे, वे नहीं लगाए गए।
बहुत कम पौधे ही रोपे गए थे। जो पौधे लगाए भी गए, वे भी खराब गुणवत्ता के पाए गए। इस तरह पैसों के साथ बड़ा खिलवाड़ हुआ। इस धांधली की शिकायत मिलने के बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा। जिला प्रशासन ने तुरंत मामले की जांच शुरू कर दी।
जांच और निलंबन
प्रारंभिक जांच मेंआरोप सही पाए जाने पर पंचायत प्रधान को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, पंचायत प्रधान ने इस कार्रवाई को धर्मशाला के डिवीजनल कमिश्नर के समक्ष चुनौती दी। डिवीजनल कमिश्नर ने मामले की फिर से जांच के आदेश दिए।
इसके बाद एसडीएम चुराह ने मामले की फिर से विस्तृत जांच की। एसडीएम ने अपनी जांच में भी पंचायत प्रतिनिधियों की संलिप्तता पाई। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही उपायुक्त ने कड़ी कार्रवाई का फैसला लिया।
सभी सदस्यों पर कार्रवाई
उपायुक्त मुकेश रेप्सवाल नेएसडीएम की रिपोर्ट पर त्वरित कार्रवाई की। उन्होंने गुरुवार को आदेश जारी कर पूरी पंचायत को बर्खास्त कर दिया। इसमें प्रधान, उपप्रधान और सभी वार्ड सदस्य शामिल हैं। साथ ही पंचायत को पूरी तरह भंग करने की सिफारिश की गई है।
उपायुक्त ने पुष्टि करते हुए कहा कि पंचायती राज विभाग, शिमला को पत्र भेजा गया है। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश है। इससे स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है। प्रशासन की यह कार्रवाई काफी सराहनीय मानी जा रही है।
Chamba News: चंबा जिले की सनवाल पंचायत के प्रधान समेत सभी सदस्यों को बर्खास्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई सेब के पौधों की खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में की गई है। उपायुक्त मुकेश रेप्सवाल ने यह आदेश जारी किया। पंचायत को भंग करने की भी सिफारिश की गई है।
घोटाले का पूरा मामला
यह मामला वर्ष 2022 में एक शिकायत के बाद उजागर हुआ था। मनरेगा योजना के तहत पौधरोपण के आठ कार्य स्वीकृत किए गए थे। इन कार्यों पर लगभग सवा करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। जांच में पाया गया कि जितने पौधे लगाए जाने थे, वे नहीं लगाए गए।
बहुत कम पौधे ही रोपे गए थे। जो पौधे लगाए भी गए, वे भी खराब गुणवत्ता के पाए गए। इस तरह पैसों के साथ बड़ा खिलवाड़ हुआ। इस धांधली की शिकायत मिलने के बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा। जिला प्रशासन ने तुरंत मामले की जांच शुरू कर दी।
जांच और निलंबन
प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर पंचायत प्रधान को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, पंचायत प्रधान ने इस कार्रवाई को धर्मशाला के डिवीजनल कमिश्नर के समक्ष चुनौती दी। डिवीजनल कमिश्नर ने मामले की फिर से जांच के आदेश दिए।
इसके बाद एसडी एम चुराह ने मामले की फिर से विस्तृत जांच की। एसडीएम ने अपनी जांच में भी पंचायत प्रतिनिधियों की संलिप्तता पाई। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही उपायुक्त ने कड़ी कार्रवाई का फैसला लिया।
सभी सदस्यों पर कार्रवाई
उपायुक्त मुकेश रेप्स वाल ने एसडीएम की रिपोर्ट पर त्वरित कार्रवाई की। उन्होंने गुरुवार को आदेश जारी कर पूरी पंचायत को बर्खास्त कर दिया। इसमें प्रधान, उपप्रधान और सभी वार्ड सदस्य शामिल हैं। साथ ही पंचायत को पूरी तरह भंग करने की सिफारिश की गई है।
उपायुक्त ने पुष्टि करते हुए कहा कि पंचायती राज विभाग, शिमला को पत्र भेजा गया है। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश है। इससे स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है। प्रशासन की यह कार्रवाई काफी सराहनीय मानी जा रही है।
