New Delhi News: केंद्रीय जल आयोग (CWC) की जून 2025 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिमालयी क्षेत्र की 432 हिमनद झीलें तेजी से फैल रही हैं। इन झीलों के फटने का खतरा बढ़ गया है जिससे विनाशकारी बाढ़ आ सकती है। इन्हें ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) कहा जाता है। आयोग ने इन झीलों को हाई-रिस्क श्रेणी में रखा है।
हिमालयी राज्यों में खतरे की स्थिति
सीडब्ल्यूसीकी रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा खतरनाक झीलें अरुणाचल प्रदेश में हैं। यहां 197 झीलों ने चिंताजनक विस्तार दर्ज किया है। लद्दाख में 120, जम्मू-कश्मीर में 57, सिक्किम में 47, हिमाचल प्रदेश में 6 और उत्तराखंड में 5 झीलें तेजी से फैल रही हैं। कुल मिलाकर 1,435 झीलों ने विस्तार दर्ज किया है।
हिमनद झीलों के आकार में वृद्धि
वर्ष 2011 मेंइन झीलों का कुल क्षेत्रफल 1,917 हेक्टेयर था। वर्ष 2025 में यह बढ़कर 2,508 हेक्टेयर हो गया है। यह 30.83 प्रतिशत की चिंताजनक वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का सीधा प्रभाव है। हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ गई है।
वास्तविक समय निगरानी की सिफारिश
केंद्रीय जल आयोग नेतत्काल कार्रवाई की सिफारिश की है। रिपोर्ट में वास्तविक समय निगरानी प्रणाली स्थापित करने पर जोर दिया गया है। उपग्रह-आधारित अलर्ट सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता बताई गई है। निचले इलाकों के लिए पूर्व चेतावनी तंत्र बनाने की सलाह दी गई है। ये उपाय आपदा प्रबंधन में मददगार होंगे।
मौजूदा मौसमी संकट और प्रभाव
यह रिपोर्ट ऐसेसमय में आई है जब हिमालयी राज्य पहले से संकट झेल रहे हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश से भूस्खलन हुआ है। इन घटनाओं में कम से कम सात लोगों की मौत हो चुकी है। पंजाब में लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। स्कूल-कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
