शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

केंद्रीय विश्वविद्यालय: हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में दाखिल किया जवाब, जानें रिपोर्ट में क्या बताया

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए भूमि आबंटन के लंबे समय से लंबित मामले में हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। सरकार ने 2007 से अब तक विश्वविद्यालय के दो परिसरों के लिए किए गए प्रयासों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की है। देहरा और धर्मशाला परिसरों के लिए भूमि हस्तांतरण की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया है।

सरकार ने अपने जवाब में बताया कि देहरा दक्षिण परिसर के लिए 115 हेक्टेयर भूमि पहले ही हस्तांतरित की जा चुकी है। इस स्थल पर निर्माण कार्य का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा पूरा हो गया है। जदरांगल धर्मशाला उत्तरी परिसर के लिए 24.5 हेक्टेयर गैर-वन भूमि हस्तांतरित की गई है। 57.1 हेक्टेयर वन भूमि के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंजूरी का इंतजार है।

मुआवजा रोपण पर व्यय

राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार मुआवजा रोपण और संबंधित खर्चों के लिए अब तक 23 करोड़ से अधिक राशि आबंटित की जा चुकी है। वन मंज़ूरी के लिए लगभग 23 करोड़ नौ लाख 85 हज़ार 571 रुपए की राशि प्रदान की जा चुकी है। इस राशि में मिट्टी और जल संरक्षण की लागत भी शामिल है।

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अतिरिक्त बजट की मांग

विभाग ने वित्त विभाग से 30 करोड़ तीन लाख 94 हज़ार 254 रुपए की अतिरिक्त राशि की मांग की है। यह राशि नेट प्रेजेंट वैल्यू क्षतिपूरक वनीकरण और अन्य शुल्कों के लिए आवश्यक है। इस मांग पर विभाग द्वारा विचार किया जा रहा है। सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि पर्यावरण मंजूरी मिलते ही बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी।

जनहित याचिका का जवाब

प्रदेश सरकार ने यह जवाब एक जनहित याचिका के जवाब में दिया है। याचिका में विश्वविद्यालय की स्थायी स्थापना में देरी और प्रशासनिक चूक का आरोप लगाया गया था। राज्य सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। सरकार ने देरी के लिए भौगोलिक और प्रक्रियात्मक चुनौतियों का हवाला दिया है।

कानूनी पालन का दावा

सरकार ने तर्क दिया कि सभी कार्रवाइयां केंद्रीय विनियमों और केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के अनुसार की गई हैं। अधिकारियों ने आवश्यक मंजूरियों में तेजी लाने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों के साथ समन्वय की पुष्टि की है। सरकार ने कोर्ट से याचिका खारिज करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई है।

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भूमि हस्तांतरण की वर्तमान स्थिति

देहरा परिसर के लिए वन और गैर-वन दोनों प्रकार की भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। धर्मशाला परिसर के लिए गैर-वन भूमि का हस्तांतरण पूरा हो गया है। वन भूमि के हस्तांतरण के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त होनी बाकी है। सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सक्रिय प्रयास जारी रखे हैं।

सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि वह परिसर स्थलों पर पानी, सड़कों और बिजली जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यह सुविधाएं पर्यावरण मंजूरी मिलते ही तुरंत उपलब्ध करा दी जाएंगी। सरकार का दावा है कि सभी दायित्वों को पूरा किया जा रहा है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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