Delhi News: लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को आठवें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार है। इस बार आयोग का फोकस ‘कम अलाउंस और ज्यादा ट्रांसपेरेंसी’ पर हो सकता है। डिजिटलाइजेशन और प्रशासनिक बदलावों के कारण कई पुराने भत्ते अपनी अहमियत खो चुके हैं।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें
सातवें वेतन आयोग की समीक्षा में करीब 196 तरह के भत्ते मौजूद पाए गए थे। आयोग ने 52 भत्तों को खत्म करने और 36 को दूसरे भत्तों में मिलाने की सिफारिश की थी। सरकार ने इस पर अमल करते हुए कई भत्तों को पूरी तरह से हटा दिया था। यह प्रक्रिया इस बार भी दोहराई जा सकती है।
किन भत्तों पर मंडरा रहा खतरा
इस बार ट्रैवल अलाउंस, स्पेशल ड्यूटी अलाउंस और छोटे स्तर के रीजनल भत्तों को खत्म किया जा सकता है। कुछ विभागीय अलाउंस जैसे टाइपिंग या क्लेरिकल अलाउंस भी हटाए जा सकते हैं। इन भत्तों की अब आवश्यकता नहीं रह गई है।
कर्मचारियों पर प्रभाव
भत्तों के खत्म होने का मतलब यह नहीं है कि कर्मचारियों की सैलरी कम हो जाएगी। सरकार आमतौर पर बेसिक पे और महंगाई भत्ते को बढ़ाकर इसकी भरपाई करती है। इससे कर्मचारियों की आय पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पेंशन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
पारदर्शिता पर जोर
आठवें वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य भत्तों की व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाना है। अप्रचलित हो चुके भत्तों को हटाने से वेतन संरचना सरल होगी। इससे प्रशासनिक कार्यों में भी आसानी होगी। नई व्यवस्था अधिक कुशल और पारदर्शी होगी।
