शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

जातिगत भेदभाव: हिमाचल के रोहड़ू में दलित बच्चे की आत्महत्या से फैली सन्नता, जानें क्या बोले महेंद्र राणा

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Shimla News: हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू तहसील में एक दलित बच्चे की आत्महत्या ने पूरे क्षेत्र में सदमे की लहर दौड़ा दी है। बारह वर्षीय बच्चे ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। यह घटना तब हुई जब एक स्वर्ण जाति के व्यक्ति ने उस पर अपना मकान छू लेने का आरोप लगाया। इसके बाद उसे गौशाला में बंद कर दिया गया और शुद्धि के नाम पर बकरे की मांग की गई। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ने इस जातिगत उत्पीड़न की कड़ी निंदा की है।

माकपा का कहना है कि यह घटना दलित समुदाय के साथ हो रहे गहरे जातिगत भेदभाव को उजागर करती है। पार्टी ने इस घटना को संविधान के मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन बताया है। उनका मानना है कि आजादी के दशकों बाद भी समाज में जातिगत उत्पीड़न की मानसिकता बनी हुई है। यह घटना सामाजिक न्याय के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करती है।

घटना का क्रम

रोहड़ू तहसील के एक गांव में दलित बच्चे ने गलती से एक स्वर्ण जाति के व्यक्ति के मकान को छू लिया। इस पर मकान मालिक भड़क गया। उसने बच्चे को गौशाला में बंद कर दिया और शुद्धि करने के लिए बकरे की मांग की। बच्चे के परिवार वालों ने बताया कि इस उत्पीड़न और डर के कारण बच्चे ने जहर खा लिया। कुछ समय बाद जब उसे देखा गया तो वह मृत पाया गया।

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माकपा की प्रतिक्रिया

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है। पार्टी के स्थानीय कमेटी बाली चौकी के सचिव महेंद्र सिंह राणा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दलित लड़के की मृत्यु का मुख्य कारण उसके साथ किया गया जातिगत उत्पीड़न ही है। पार्टी ने सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

माकपा ने पीड़ित परिवार को तत्काल उचित मुआवजा दिए जाने की भी मांग की है। पार्टी का मानना है कि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय मिलना बेहद जरूरी है। इससे समाज में एक स्पष्ट संदेश जाएगा कि जातिगत भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को संविधान के प्रावधानों को सख्ती से लागू करना चाहिए।

समाज में व्याप्त समस्या

यह घटना दर्शाती है कि जातिगत भेदभाव स्कूलों और सामाजिक कार्यक्रमों में अभी भी मौजूद है। दोपहर के भोजन जैसी सामान्य गतिविधियों में भी बच्चों के साथ भेदभाव देखने को मिलता है। हिमाचल प्रदेश जैसे शिक्षित राज्य में ऐसी घटना विशेष रूप से चिंताजनक है। यह साबित करती है कि शिक्षा के बावजूद जातिवाद की जड़ें गहरी हैं।

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माकपा का कहना है कि जातिगत भेदभाव समाज को बांटती है और देश के विकास में बाधक है। आधुनिक विज्ञान और तकनीक के युग में ऐसी मानसिकता दुर्भाग्यपूर्ण है। पार्टी ने जोर देकर कहा कि इसके खिलाफ पढ़े-लिखे युवाओं को आगे आना होगा। युवा शक्ति ही इस सामाजिक बुराई को जड़ से उखाड़ सकती है।

आगामी विरोध प्रदर्शन

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी जातिगत भेदभाव के खिलाफ छह अक्टूबर को प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन करेगी। बाली चौकी में भी इसी दिन प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा। यह प्रदर्शन न केवल इस घटना के विरोध में है बल्कि समाज में फैली जातिवादी मानसिकता के खिलाफ एक जनजागरण अभियान का हिस्सा है।

पार्टी का उद्देश्य प्रशासन और समाज का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर खींचना है। वे चाहती हैं कि सरकार ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे। साथ ही समाज के सभी वर्गों को जातिगत भेदभाव के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए। यही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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