Shimla News: राजधानी के ऐतिहासिक टाउनहॉल भवन में हाई एंड कैफे खुलने पर घमासान मच गया है। हेरिटेज कमेटी के निरीक्षण से पहले और नगर निगम को पूरा किराया चुकाए बिना ही टाउनहाॅल में अचानक यह कैफे खुल गया। इस पर अब सवाल खड़े हो गए हैं।
सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि सदन में चर्चा के बावजूद नगर निगम ने निरीक्षण के लिए अभी तक हेरिटेज कमेटी को कोई पत्र भी नहीं लिखा। भाजपा और माकपा ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा पार्षद सरोज ठाकुर का कहना है कि महापौर ने सदन की गरिमा तक नहीं रखी।
सदन में पार्षदों ने हेरिटेज कमेटी से भवन का निरीक्षण करवाने का मामला उठाया था। यदि यह कमेटी निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में कहती कि भवन के भीतर कोई छेड़खानी नहीं हुई है तो कैफे खोलने पर किसी को ऐतराज नहीं होता। लेकिन निरीक्षण करवाए बिना ही कैफे खोलना गलत है।
कहा कि वर्तमान सरकार टेंडर के लिए पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराती है, लेकिन जब वर्तमान पार्षद इस पर सवाल उठा रहे हैं तो उसे खुद ही अनदेखा कर रही है। यदि ऐसी ही मनमानी करनी थी तो पार्षदों की कमेटी ही क्यों बनाई। कमेटी में शामिल माकपा पार्षद वीरेंद्र ठाकुर ने भी सवाल उठाए।
कहा कि इस ऐतिहासिक भवन के भीतर और बाहर क्या हो सकता है और क्या नहीं हो सकता, इसे हेरिटेज कमेटी ने देखना था। इसका निरीक्षण करवाए बिना ही कैफे खोलना गलत है। हमने भी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि कमेटी से टाउनहॉल का निरीक्षण करवाया जाए, लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया है।
नहीं मिला पूरा किराया, दिया है नोटिस : महापौर
नगर निगम महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि ठेकेदार ने करीब 39 लाख का चेक दिया है। 60 लाख रुपये और देने हैं। यह पैसा देने से पहले कैफे खोलना गलत है। निगम ने इसके लिए ठेकेदार को नोटिस दे दिया है। फूड और फायर लाइसेंस भी दिखाने को कहा है। कहा कि टाउनहॉल के भीतर टेंडर समझौते के अनुसार काम हुआ है। बाकायदा आयुक्त ने सदन में इसकी जानकारी दी थी। हेरिटेज कमेटी के निरीक्षण के लिए जल्द पत्र लिखा जाएगा।
टेंडर करने वाली भाजपा ही उठा रही सवाल : विधायक
शहरी विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान ही टाउनहॉल में कैफे का टेंडर हुआ। अंदर क्या होना है और क्या नहीं, यह भाजपा सरकार के समय ही तय हुआ। अब जब ठेकेदार कैफे खोल रहा है तो भाजपा ही सवाल उठा रही है। कहा कि उनका सपना था कि टाउनहॉल में नगर निगम का सदन बने और पार्षदों के लिए अलग दफ्तर हो, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता।