New York: संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर न्यूयॉर्क में ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और वैश्विक व्यापार में बढ़ती बाधाओं जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। सदस्य देशों ने 2026 में भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता का सर्वसम्मत समर्थन किया।
मंत्रियों ने बैठक आयोजित करने के लिए भारत की सराहना की। उन्होंने 2026 में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए भारत को अपना पूर्ण समर्थन दिया। यह समर्थन भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को दर्शाता है। बैठक में ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ नए सदस्य देशों ने भी भाग लिया।
पहलगाम आतंकी हमले की निंदा
बैठक में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने आतंकवादियों को सीमा पार से मिलने वाले समर्थन पर गहरी चिंता जताई।
यह रुख भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद के महिमामंडन की आलोचना के अनुरूप है। इससे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का संदेश मिलता है। सदस्य देशों ने आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों पर रोक लगाने की आवश्यकता पर सहमति जताई।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग
ब्रिक्स देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की मांग को दोहराया। उन्होंने परिषद को अधिक लोकतांत्रिक और प्रतिनिधिक बनाने पर बल दिया। मंत्रियों ने भारत और ब्राजील की स्थायी सदस्यता की आकांक्षाओं का खुलकर समर्थन किया।
चीन और रूस ने भी भारत की महत्वाकांक्षा के प्रति अपना समर्थन दोहराया। यह सुधार वैश्विक शासन संरचनाओं को वर्तमान वास्तविकताओं के अनुरूप बनाने के लिए जरूरी है। ब्रिक्स का मानना है कि इससे संयुक्त राष्ट्र अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकेगा।
वैश्विक व्यापार में बाधाओं पर चिंता
विदेश मंत्रियों ने वैश्विक व्यापार में टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं की अंधाधुंध वृद्धि पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने संरक्षणवादी नीतियों और एकतरफा व्यापार प्रतिबंधों के खतरों को रेखांकित किया। ऐसे कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
यह टिप्पणी अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। बैठक में कहा गया कि यह प्रवृत्ति वैश्विक दक्षिण के देशों को हाशिए पर धकेल सकती है। ब्रिक्स देशों ने निष्पक्ष और खुले व्यापार के महत्व पर सहमति जताई।
बैठक में ईरान, इंडोनेशिया, यूएई, इथियोपिया और मिस्र जैसे नए सदस्य देश शामिल हुए। इससे ब्रिक्स के वैश्विक दक्षिण के प्रमुख मंच के रूप में विस्तार का पता चलता है। इन देशों की भागीदारी समूह के प्रभाव को और बढ़ाएगी।
बैठक के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। इस वक्तव्य में सदस्य देशों की साझा चिंताओं और प्राथमिकताओं को शामिल किया गया। यह बैठक ब्रिक्स देशों के बीच मजबूत सहयोग और समन्वय को दर्शाती है। भविष्य में और अधिक मुद्दों पर सहमति बनने की उम्मीद है।
वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए ब्रिक्स देशों का एकजुट होना जरूरी है। यह बैठक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होती है। भारत की अगली अध्यक्षता में समूह और अधिक मजबूत होगा। इससे वैश्विक भूराजनीति में ब्रिक्स का वजन बढ़ेगा।
