Health News: ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में सबसे आम कैंसर में से एक बन गया है। भारत और दुनिया भर में हर साल इसके लाखों नए मामले सामने आते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआती अवस्था में इसकी पहचान होने से इलाज सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। जागरूकता और समय पर जांच इस रोग से लड़ने की कुंजी है।
हॉर्मोनल और अनुवांशिक कारक
हार्मोनल असंतुलन को ब्रेस्ट कैंसर का एक प्रमुख कारण माना जाता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन के स्तर में लंबे समय तक रहने वाली गड़बड़ी खतरा बढ़ा सकती है। इसके अलावा, अनुवांशिक प्रवृत्ति भी एक बड़ा भूमिका निभाती है। परिवार में पहले से मौजूद बीमारी का इतिहास जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है।
जीवनशैली से जुड़े जोखिम
आधुनिक जीवनशैली से जुड़े कारक भी इसके प्रसार में योगदान दे रहे हैं। देर से शादी होना, बच्चे को स्तनपान न कराना और मोटापा महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं। शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर आहार और शराब का सेवन भी समस्या को बढ़ावा देते हैं। पर्यावरणीय कारक जैसे विकिरण का अत्यधिक संपर्क भी चिंता का विषय है।
पहचानें ये शुरुआती संकेत
लक्षणों की शीघ्र पहचान उपचार की दिशा में पहला कदम है। स्तन में किसी भी प्रकार की नई गांठ या सूजन पर ध्यान देना चाहिए। यह गांठ दर्द रहित भी हो सकती है। त्वचा में बदलाव जैसे लालिमा, झुर्रियां या खिंचाव भी चेतावनी के संकेत हो सकते हैं।
निप्पल में होने वाले बदलाव
निप्पल से असामान्य तरल पदार्थ का रिसाव एक गंभीर लक्षण है। खासकर अगर यह रक्त मिश्रित हो। निप्पल का अचानक अंदर की ओर धंसना भी सामान्य नहीं है। बगल या कॉलरबोन के आसपास की लिम्फ नोड्स में सूजन भी ध्यान देने योग्य है।
नियमित जांच है जरूरी
विशेषज्ञ नियमित जांच पर जोर देते हैं। महीने में एक बार स्व-स्तन परीक्षण करना फायदेमंद हो सकता है। चालीस वर्ष की आयु के बाद नियमित मैमोग्राफी स्क्रीनिंग की सलाह दी जाती है। उच्च जोखिम वाली महिलाओं को और भी पहले जांच शुरू कर देनी चाहिए।
सावधानी बरतने के उपाय
कुछ सावधानियां जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो सकती हैं। नियमित शारीरिक गतिविधि और संतुलित आहार को प्राथमिकता दें। स्वस्थ वजन बनाए रखना और धूम्रपान से दूर रहना भी महत्वपूर्ण है। स्तनपान को बढ़ावा देना एक सुरक्षात्मक कदम हो सकता है।
