शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

केरल में दिमाग खाने वाला अमीबा: 19 मौतें, जानिए क्या है यह बीमारी और बचाव के उपाय

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Kerala News: केरल में ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन गया है। इस साल सितंबर तक 65 से अधिक मामले सामने आए हैं और 19 लोगों की मौत हो चुकी है। यह संक्रमण नेग्लेरिया फाउलेरी नामक अमीबा के कारण होता है, जो मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट कर देता है। स्वास्थ्य अधिकारी इस पर नियंत्रण के लिए कड़े प्रयास कर रहे हैं।

इस बीमारी को प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) कहा जाता है। यह अमीबा गर्म और स्थिर मीठे पानी में पनपता है, जैसे तालाब, झीलें और स्विमिंग पूल। संक्रमण तब होता है जब यह अमीबा नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है।

संक्रमण के लक्षण और खतरा

शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मतली और उल्टी शामिल हैं। बाद में गर्दन अकड़न, मतिभ्रम और कोमा जैसे गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। लक्षणों की पहचान मुश्किल होती है क्योंकि ये अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हैं। संक्रमण के बाद मरीज की मौत अक्सर 18 दिनों के भीतर हो जाती है।

केरल में कम मृत्यु दर

वैश्विक स्तर पर इस बीमारीकी मृत्यु दर 97% है, लेकिन केरल में यह लगभग 24% है। यह कमी बेहतर निदान, त्वरित इलाज और जागरूकता अभियानों का नतीजा है। राज्य सरकार ने जल स्रोतों की सफाई और क्लोरीनीकरण पर विशेष ध्यान दिया है।

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रोकथाम और सावधानियां

लोगों को सलाह दी गई है कि वे स्थिर या गंदे पानी में न नहाएं। तैराकी के दौरान नाक को ढक कर रखें या नोज क्लिप का उपयोग करें। पीने के पानी के स्रोतों की नियमित सफाई और क्लोरीनीकरण जरूरी है। संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

राजनीतिक विवाद

इस मुद्दे पर राज्य में राजनीतिक बहस छिड़ गई है। विपक्ष ने सरकार पर स्वास्थ्य प्रबंधन में लापरवाही का आरोप लगाया है। सरकार का कहना है कि वह स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और सभी आवश्यक कदम उठा रही है।

केरल में इस बीमारी का पहला मामला 2016 में सामने आया था। तब से अब तक 120 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इस साल मामलों में पिछले साल की तुलना में लगभग 100% की वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य विभाग पर्यावरणीय नमूने एकत्र कर संदूषण के स्रोतों की पहचान कर रहा है।

यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। दूषित पानी पीने से भी यह बीमारी नहीं होती है। खतरा केवल तब होता है जब संक्रमित पानी नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है। इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है।

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केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा है कि यह संक्रमण अब पूरे राज्य में छिटपुट रूप से फैल रहा है। पिछले साल के विपरीत, इस बार संक्रमण के मामले किसी एक जल स्रोत से जुड़े हुए नहीं हैं। इससे महामारी विज्ञान जांच जटिल हो गई है।

बीमारी का इलाज दवाओं के संयोजन से किया जाता है। इसमें सूजन कम करने और अमीबा को मारने वाली दवाएं शामिल हैं। प्राथमिक अवस्था पर निदान होने से मरीज के बचने की संभावना बढ़ जाती है। केरल में उन्नत परीक्षण सुविधाएं के कारण मरीजों का जल्दी पता लगाया जा रहा है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पानी का तापमान बढ़ रहा है। इससे अमीबा के पनपने की संभावना बढ़ गई है। गर्मी के मौसम में अधिक लोगों की मनोरंजक गतिविधियाँ के लिए पानी का उपयोग करते हैं, जिससे खुलासा बढ़ता है।

तीन महीने के शिशु से लेकर 91 साल के बुजुर्ग तक इस संक्रमण की चपेट में आए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित पानी का ही उपयोग करें और लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज कराएं। सरकार ने राज्यव्यापी क्लोरीनीकरण अभियान भी शुरू किया है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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