India News: भारत और रूस ने हाइपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस-II के विकास पर काम शुरू कर दिया है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व सीईओ अतुल राणे ने बताया कि दोनों देश इस प्रोजेक्ट में जुट गए हैं। यह मिसाइल Mach-8 की रफ्तार से उड़ेगी। इसकी रेंज 1500 किमी से अधिक होगी। ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की ताकत दिख चुकी है। यह प्रोजेक्ट भारत-रूस के रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा।
मिसाइल की विशेषताएं
ब्रह्मोस-II हाइपरसोनिक मिसाइल स्क्रैमजेट इंजन से लैस होगी। यह हवा से ऑक्सीजन लेकर लंबी उड़ान भर सकती है। इसकी रफ्तार 11000 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है। इसका वजन कम होने से इसे तेजस विमान से भी लॉन्च किया जा सकेगा। मिसाइल की रेंज 1500 किमी से अधिक होगी। यह चीन और पाकिस्तान के बड़े क्षेत्र को निशाना बना सकती है। इसका डिज़ाइन रूस की जिरकॉन मिसाइल से प्रेरित है।
दुश्मन के रडार को देगी चकमा
यह हाइपरसोनिक मिसाइल तेजी से दिशा बदलने में सक्षम होगी। इसका एडवांस कंट्रोल सिस्टम और स्टेल्थ फीचर्स इसे रडार से बचाने में मदद करेंगे। इजरायल का आयरन डोम जैसे डिफेंस सिस्टम भी इसे रोकने में असमर्थ होंगे। ब्रह्मोस-II गहरे लक्ष्यों को भेदने की क्षमता रखेगी। यह भारत के रक्षा शस्त्रागार में सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक होगी। मिसाइल की सटीकता इसे और खतरनाक बनाएगी।
भारत-रूस का संयुक्त प्रयास
ब्रह्मोस-II भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस में भारत की 50.5% और रूस की 49.5% हिस्सेदारी है। इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मोसकवा नदियों से लिया गया है। 1998 में शुरू यह सहयोग अब हाइपरसोनिक तकनीक की ओर बढ़ रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की सफलता ने दुनिया को इसकी ताकत दिखाई। यह हाइपरसोनिक मिसाइल भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाई देगी।
