Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटीज के लिए एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिल्डिंग की टेरेस सोसायटी की सामूहिक संपत्ति है। इसलिए उसकी आंतरिक मरम्मत का खर्च केवल टॉप फ्लोर पर रहने वाले सदस्यों से वसूलना गलत है। यह फैसला नवी मुंबई की एक सोसायटी की याचिका को खारिज करते हुए आया।
सोसायटी ने सहकारिता विभाग के एक आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अथॉरिटी ने पहले ही कहा था कि टेरेस की मरम्मत का बोझ ऊपरी मंजिल के रहवासियों पर नहीं डाला जा सकता। जस्टिस मिलिंद जाधव ने इस आदेश को पूरी तरह से सही और कानून के अनुरूप बताया। उन्होंने याचिका में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया।
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि यह मामला नियमों के पालन से जुड़ा है। सोसायटी बाय लॉ नंबर 160ए के मुताबिक टेरेस सोसायटी की संपत्ति है। इस नियम का उल्लंघन करके मरम्मत का खर्च वसूलना गलत है। अदालत ने सहकारिता विभाग के उस निर्देश को भी बरकरार रखा जिसमें सोसायटी से पैसा वापस करने को कहा गया था।
बहुमत से भी नहीं बदल सकते नियम
अदालत ने एक और महत्वपूर्ण बात स्पष्ट की। उसने कहा कि अगर सोसायटी के सदस्य विशेष आम सभा में बहुमत से भी कोई फैसला लेते हैं, तब भी नियम के खिलाफ जाकर फंड इकट्ठा नहीं किया जा सकता। बहुमत से लिया गया ऐसा कोई भी निर्णय मान्य नहीं होगा। इससे सोसायटी के सदस्यों के बीच होने वाले व्यक्तिगत विवादों पर भी रोक लगेगी।
इस फैसले का असर महाराष्ट्र की सभी हाउसिंग सोसायटीज पर पड़ेगा। अब सोसायटी मैनेजमेंट टेरेस की मरम्मत के लिए अलग से चार्ज नहीं ले सकती। इस खर्च को सामान्य मेंटेनेंस फंड से ही पूरा करना होगा। साथ ही, टेरेस से होने वाले वाटर लीकेज की मरम्मत का खर्च भी मेंटेनेंस बिल में शामिल नहीं किया जा सकता।
यह मामला नवी मुंबई की 12 बिल्डिंग वाली एक सोसायटी का था। सोसायटी ने जॉइंट रजिस्ट्रार और रिवीजनल अथॉरिटी के आदेश को चुनौती दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने उनके सभी आदेशों को सही ठहराया। इस फैसले से अब तक चली आ रही भ्रम की स्थिति को दूर कर दिया है।
