Himachal News: दृष्टिबाधित लोगों के एक संगठन ने सोमवार को राज्य सचिवालय के बाहर जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार पर अपनी मांगों को लेकर बेरुखी बरतने का आरोप लगाया। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो वे सचिवालय के सामने नग्न प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। यह आंदोलन पिछले दो साल से चल रहा है।
दृष्टिहीन जन संगठन के सचिव राजेश ठाकुर ने बताया कि यह धरना 734 दिनों से जारी है। यह हिमाचल के इतिहास का सबसे लंबा आंदोलन बन गया है। उनकी मुख्य मांग विभिन्न सरकारी विभागों में दृष्टिबाधितों के लिए आरक्षित बैकलॉग पदों को भरने की है। ये पद लंबे समय से खाली पड़े हैं।
ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार ने बजट में भी उनके वर्ग के लिए कोई प्रावधान नहीं किया। कई दौर की वार्ताओं के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। सरकार वार्ता का आश्वासन देकर मामले को टालती रही है। इस हालत में उनके पास आक्रामक तरीके अपनाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।
संगठन की सदस्य लक्की ने कहा कि अगर सरकार ने अब भी अनसुनी की तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगे। इसके बाद सचिवालय के बाहर नग्न प्रदर्शन उनकी अंतिम मजबूरी होगी। उन्होंने साफ कहा कि इस कदम की पूरी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन पर होगी।
पुलिस ने रोका सचिवालय पहुंचने का प्रयास
प्रदर्शन करने के लिए संगठन के सदस्य सुबह साढ़े दस बजे एचआरटीसी बस से संजौली की ओर जा रहे थे। छोटा शिमला स्थित गुरुद्वारे के पास पहुंचने पर पुलिस ने बस रोक दी। पुलिस ने सभी दृष्टिबाधित सदस्यों को बस से उतारकर गुरुद्वारे के सामने एकत्र कर दिया।
दृष्टिबाधित सदस्य सीधे सचिवालय गेट पर जमा होना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया। इसके बाद उन्होंने गुरुद्वारे के समीप ही अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस घटना ने प्रदर्शनकारियों के गुस्से को और बढ़ा दिया।
1995 से लंबित है मांग
यह संगठन वर्ष 1995 के बाद से लंबित पड़े बैकलॉग कोटे के पदों की एकमुश्त भर्ती की मांग कर रहा है। संगठन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सरकारी नौकरियों में दृष्टिबाधितों का कोटा लगातार अनदेखा किया जा रहा है।
इस मामले ने सामाजिक न्याय और विकलांगों के अधिकारों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। संगठन के अनुसार सरकारी उदासीनता ने उन्हें चरम कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है। उनकी लड़ाई न्याय और संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई बन गई है।
आंदोलन का इतिहास
शिमला के कालीबाड़ी इलाके में चल रहा यह धरना अब एक रिकॉर्ड बन चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इतना लंबा धरना पहले कभी नहीं देखा गया। संगठन के सदस्य लगातार दो साल से अधिक समय से इसी मांग को लेकर डटे हुए हैं।
हर दिन उनकी संख्या और दृढ़ता बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि अब वह पीछे हटने का कोई इरादा नहीं रखते। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे और एक स्थायी समाधान प्रदान करे।
