Shimla News: भारतीय जनता पार्टी ने बजट सत्र से पहले राज्य सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने की तैयारी कर ली है। पार्टी ने लीगल सैल से भी इसके लिए अपनी सहमति ले ली है।
अब इसके दस्तावेज तैयार करने के बाद बजट सत्र से पहले हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। पार्टी इस पर रोक लगाने की मांग करते हुए पुराने पैटर्न पर ही चुनाव करवाने का आग्रह करेगी।
इसमें तर्क दिया जा रहा है कि भाजपा ने चुनाव में लोगों की संख्या को देखते हुए वार्डों को बनाया था। भाजपा की मंशा शहर का बेहतर विकास करवाना थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश लाकर बढ़ाए गए 41 वार्डों को घटाकर 34 करने का अध्यादेश ला दिया। राजधानी में वार्ड में लोगों की संख्या बराबर होने के कारण समान बजट से विकास हो सकेगा।
अंतिम मतदाता सूची 31 मार्च को जारी की जानी है
वहीं राज्य चुनाव आयोग ने अपनी तरफ से चुनावी तैयारी तेज कर दी है। चार मार्च को इसकी ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की जानी है। इसके बाद छह मार्च से लेकर अगले 10 दिन तक शहर में वोट बनाने का काम भी किया जाएगा। अंतिम मतदाता सूची 31 मार्च को जारी की जानी है।
भाजपा की चुनौती पर कोर्ट के फैसले पर रहेगी सभी की नजर
ऐसे में अब सभी की नजरें भाजपा की ओर से कोर्ट में दी जाने वाली चुनौती पर न्यायालय के आने वाले आदेश पर रहेंगी, इसके बाद चुनाव का फैसला टिका होगा। पार्टी की चुनौती पर न्यायालय का आदेश ही तय करेगा कि शहर में नगर निगम के चुनाव जल्द होंगे या फिर इसके लिए इंतजार करना होगा।
शहर के लोगों को करना होगा पार्षदों का लंबा इंतजार
शहर के लोगों को अपने पार्षद को चुनने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। पिछले साल जून से ही नगर निगम के महापौर व उपमहापौर से लेकर पार्षदों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। अब नगर निगम को चलाने के लिए सरकार ने प्रशासक की तैनाती कर रखी है। उपायुक्त शिमला को ही यह कार्य सौंपा गया है। पहली बार है कि इतने लंबे समय तक शिमला नगर निगम में कोई भी पार्षद नहीं है।