Himachal News: मंडी जिले में भाजपा के भीतर गहरे मतभेद सामने आ रहे हैं। पूर्व मंत्री और सदर विधायक अनिल शर्मा की लगातार अनदेखी पार्टी के लिए समस्या बनती जा रही है। पार्टी के कार्यक्रमों और बैठकों में उन्हें निमंत्रण नहीं दिया जा रहा है। इससे स्थानीय कार्यकर्ताओं में गहरा असंतोष पैदा हो रहा है। यह स्थिति आने वाले चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
हाल ही में आयोजित कई महत्वपूर्ण बैठकों में अनिल शर्मा को शामिल नहीं किया गया। तीन दिन पहले भाजपा महिला मोर्चा के कार्यक्रम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की पत्रकार वार्ता की जानकारी भी उन्हें नहीं दी गई। यह घटना तब हुई जब वह मंडी में ही मौजूद थे। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष है।
ब्राह्मण वोट बैंक पर संकट
अनिल शर्माजिले में भाजपा के एकमात्र प्रमुख ब्राह्मण चेहरे हैं। उनकी पकड़ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मजबूत है। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में उनके प्रभाव ने पार्टी को मजबूत स्थिति दिलाई थी। अब उनकी उपेक्षा से ब्राह्मण समुदाय में असंतोष फैल सकता है। इससे भाजपा के वोट बैंक को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
पार्टी के भीतर मौजूद सूत्रों का कहना है कि कुछ पदाधिकारी शीर्ष नेतृत्व को गलत जानकारी दे रहे हैं। यह लोग व्यक्तिगत हित साधने में लगे हुए हैं। इससे समर्पित कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है। पार्टी का संगठनात्मक ढांचा कमजोर हो रहा है।
जिला अध्यक्ष की कार्यशैली पर सवाल
भाजपाके जिला अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अध्यक्ष समन्वय की जगह गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं। महत्वपूर्ण फैसले चुनिंदा लोगों की सलाह पर लिए जा रहे हैं। इससे पार्टी के传统 रूप से मजबूत माने जाने वाले इस गढ़ में संकट पैदा हो गया है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाल के कार्यक्रमों में अनिल शर्मा की मौजूदगी से कुछ नेता खुश नहीं हैं। नेरचौक मेडिकल कॉलेज और पड्डल मैदान के कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति विवाद का कारण बनी। हालांकि अनिल शर्मा और मुख्यमंत्री के बीच पुराने पारिवारिक संबंध हैं।
संगठन में बढ़ती खींचतान
राजनीतिक विश्लेषकोंका मानना है कि भाजपा को इस आंतरिक संघर्ष पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। मंडी में पार्टी का प्रदर्शन अगले चुनाव में प्रभावित हो सकता है। समय रहते समन्वय स्थापित नहीं किया गया तो भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में अनिल शर्मा को एसडीएम के माध्यम से न्योता मिलता है। लेकिन पार्टी की आंतरिक बैठकों की जानकारी नहीं दी जा रही है। इससे स्पष्ट होता है कि संगठन के भीतर गहरे मतभेद हैं। यह स्थिति पार्टी एकजुटता के लिए अच्छी नहीं है।
