India News: संसद ने सोमवार को ‘बिल ऑफ लैडिंग 2025’ बिल को मंजूरी दी। यह बिल 169 साल पुराने इंडियन बिल ऑफ लैडिंग एक्ट 1856 को बदल देगा। केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसे राज्यसभा में पेश किया। यह कानून समुद्री व्यापार के लिए आधुनिक और सरल ढांचा प्रदान करेगा। यह वैश्विक मानकों के अनुरूप होगा। बिल अब राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इससे व्यापार में पारदर्शिता बढ़ेगी।
बिल ऑफ लैडिंग क्या है?
बिल ऑफ लैडिंग एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह शिपिंग कंपनी द्वारा शिपर को दिया जाता है। इसमें माल की मात्रा, प्रकार, स्थिति और गंतव्य की जानकारी होती है। यह माल के स्वामित्व और परिवहन के अनुबंध का प्रमाण है। पुराने कानून में जटिल शब्दावली थी। इससे व्यापार में विवाद बढ़ते थे। नए बिल ऑफ लैडिंग 2025 बिल से समुद्री व्यापार में स्पष्टता आएगी। यह दस्तावेज अंतरराष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नए कानून के प्रमुख बदलाव
नया बिल ऑफ लैडिंग 2025 बिल समुद्री व्यापार को सरल बनाएगा। यह जटिल शब्दावली को हटाकर स्पष्ट नियम लाता है। इससे शिपर, वाहक और मालिकों के अधिकार और जिम्मेदारियां साफ होंगी। सरकार को नियम लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार मिलेगा। यह कानून वैश्विक मानकों के अनुरूप है। इससे विवाद और मुकदमों की संभावना कम होगी। व्यापार प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी।
व्यापार में सुधार और वैश्विक मानक
नया कानून पुरानी औपनिवेशिक व्यवस्था को खत्म करेगा। यह भारत के समुद्री व्यापार को आधुनिक बनाएगा। बिल में प्रावधानों को सरल और व्यवस्थित किया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों जैसे हाग-विस्बी नियमों के साथ तालमेल रखेगा। इससे भारत का वैश्विक व्यापार में स्थान मजबूत होगा। व्यापारियों को स्पष्ट कानूनी ढांचा मिलेगा। यह कानून कारोबारी प्रक्रियाओं को तेज करेगा और भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाएगा।
