Himachal News: बिलासपुर जिले के घुमारवीं क्षेत्र की सोनिका ने डेयरी फार्मिंग में सफलता की नई मिसाल कायम की है। वह टीजीटी साइंस टीचर होने के साथ-साथ सफल डेयरी उद्यमी भी हैं। सोनिका ने साल 2019 में एक जर्सी गाय से शुरुआत की थी। आज उनके पास छह गायें और एक हीफर है।
सोनिका प्रतिदिन 57 लीटर दूध का उत्पादन कर रही हैं। इससे उन्हें महीने में लगभग सत्तर चार हजार रुपये की शुद्ध आय होती है। वह डेयरी फार्म को वैज्ञानिक तरीके से संचालित कर रही हैं। सोनिका की सफलता क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही है।
शिक्षक से उद्यमी का सफर
सोनिका घुमारवीं के निजी मिनर्वा सीनियर सेकेंडरी स्कूल में टीजीटी साइंस टीचर हैं। उन्होंने चार साल पहले डेयरी फार्मिंग की शुरुआत की। एक गाय से शुरू हुआ उनका सफर आज छह गायों तक पहुंच गया। वह नौकरी के साथ-साथ डेयरी फार्म का काम संभालती हैं।
सोनिका सुबह साढ़े पांच बजे डेयरी का काम शुरू करती हैं। सात बजे तक सभी कार्य पूरे कर लेती हैं। शाम को पांच बजे से डेयरी का काम फिर शुरू होता है। उनके पति और परिवार के सदस्य भी इस काम में सहयोग करते हैं।
वैज्ञानिक तरीके से डेयरी प्रबंधन
सोनिका ने अपने डेयरी फार्म को आधुनिक तकनीक से लैस किया है। वह दुधारू गायों का दुहन मिल्किंग मशीन से करती हैं। हरे चारे की कटाई के लिए चाफ कटर मशीन का उपयोग होता है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों से नियमित मार्गदर्शन लेती हैं।
उन्होंने डेयरी फार्मिंग को पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति से अपनाया है। आधुनिक उपकरणों के इस्तेमाल से कार्य कुशलता बढ़ी है। पशुओं के स्वास्थ्य और देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जाता है। समय-समय पर पशु चिकित्सकों की सलाह ली जाती है।
आर्थिक सफलता के आंकड़े
सोनिका के डेयरी फार्म से प्रतिदिन सत्तावन लीटर दूध का उत्पादन होता है। दूध पैंसठ रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है। महीने में कुल आय लगभग एक लाख दस हजार रुपये होती है। सभी खर्चों के बाद शुद्ध लाभ चौहत्तर हजार रुपये रह जाता है।
यह व्यवसाय सोनिका के लिए अत्यंत लाभदायक साबित हो रहा है। उनकी आर्थिक स्थिति में significant improvement आई है। डेयरी फार्मिंग ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। अब वह दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रही हैं।
महिलाओं के लिए प्रेरणा
सोनिका का मानना है कि महिलाएं डेयरी फार्मिंग से आर्थिक रूप से सशक्त बन सकती हैं। एक या दो गायों से भी इसकी शुरुआत की जा सकती है। यह कार्य सुबह-शाम मात्र एक-एक घंटे का है। नौकरीपेशा महिलाएं भी इसे आसानी से कर सकती हैं।
प्रदेश सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति से लाभ मिल रहा है। गाय के दूध का मूल्य इक्यावन रुपये प्रति लीटर निर्धारित है। इससे दूध की बिक्री आसान हुई है। पशुपालकों की आय में वृद्धि हुई है।
सरकारी सहायता और प्रोत्साहन
पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉक्टर किशोरी लाल शर्मा ने जानकारी दी। पंजीकृत दुग्ध उत्पादक समितियों को तीन रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि मिलती है। दो किलोमीटर से अधिक दूरी तक दूध ले जाने वालों को दो रुपये उपदान मिलता है।
बिलासपुर जिले में पंद्रह नई दुग्ध उत्पादक समितियों का गठन हुआ है। पहले से चालीस समितियां कार्यरत हैं। कांगड़ा में स्थापित हो रहे दूध प्रसंस्करण संयंत्र से बिलासपुर के किसानों को लाभ मिलेगा। सरकार डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है।
