Bilaspur News: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के लांस दफेदार बलदेव चंद देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली। सेना ने परिवार को शहादत की सूचना दी है। उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव लाया जाएगा। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
बलदेव चंद बिलासपुर जिले के झंडुता उपमंडल के निवासी थे। वह सेना में लांस दफेदार के पद पर तैनात थे। उन्होंने वर्ष 2011 में सेना में भर्ती होकर देश सेवा शुरू की थी। पंद्रह वर्षों तक उन्होंने निष्ठा से देश की सेवा की। आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
उन्होंने अपने पीछे सात वर्षीय बेटा, पत्नी और माता-पिता को छोड़ा है। परिवार के सदस्यों का दुःख अत्यंत गहरा है। शहादत की खबर मिलते ही घर में लोग एकत्रित होने लगे। सभी शहीद के परिवार के साथ संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। परिवार को इस कठिन समय में पूरे समुदाय का सहयोग मिल रहा है।
अंतिम संस्कार की तैयारियां
झंडुता के एसडीएम अर्शिया शर्मा ने बताया कि पार्थिव देह सुबह दस बजे तक गांव पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। पार्थिव शरीर को हेलिकॉप्टर से चंडी मंदिर लाया जाएगा। वहां से सड़क मार्ग से इसे पैतृक गांव पहुंचाया जाएगा। अंतिम दर्शन के बाद संस्कार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने व्यक्त किया शोक
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शहीद बलदेव चंद के बलिदान पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बलदेव चंद ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनके इस सर्वोच्च बलिदान को सदैव याद रखा जाएगा। प्रदेश सरकार शोक संतप्त परिवार के साथ हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
बलदेव चंद के पिता बिशन दास स्वयं सेना से सेवानिवृत्त हवलदार हैं। उनके ताया और चाचा भी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। परिवार का सेना के प्रति गहरा लगाव रहा है। बलदेव चंद ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश सेवा का मार्ग चुना था।
सेना ने बलदेव चंद की बहादुरी और समर्पण को सलाम किया है। उनकी शहादत देश की रक्षा में दिए गए उनके योगदान का प्रतीक है। उनका बलिदान राष्ट्र के लिए एक अमूल्य क्षति है। पूरा देश उनकी वीरगति को सलाम करता है।
