Himachal News: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक ऐसा रहस्यमय मंदिर स्थित है जहां हर बारह साल में एक चमत्कार होता है। बिजली महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर हर बारह वर्षों के बाद आकाशीय बिजली गिरती है। इस बिजली के प्रहार से शिवलिंग टुकड़े-टुकड़े हो जाता है। स्थानीय लोग इसे भगवान शिव की दिव्य लीला मानते हैं।
मंदिर समुद्र तल से 7874 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कुल्लू शहर से इसकी दूरी मात्र 20 किलोमीटर है। शांत वातावरण और घने जंगलों के बीच बना यह मंदिर देखने में साधारण लगता है। लेकिन इसकी परंपरा अद्वितीय है।
मक्खन और सत्तू से जोड़ते हैं शिवलिंग
बिजलीगिरने के बाद शिवलिंग के टुकड़े हो जाते हैं। स्थानीय पुजारी और ग्रामीण इन टुकड़ों को इकट्ठा करते हैं। वे मक्खन और सत्तू के लेप का उपयोग करके शिवलिंग को फिर से जोड़ते हैं। यह प्रक्रिया बेहद सावधानी से की जाती है।
कुछ दिनों बाद यह लेप सूख जाता है। शिवलिंग पहले जैसा दिखने लगता है। फिर से नियमित पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है। स्थानीय लोग इस पूरी प्रक्रिया को चमत्कार मानते हैं।
पौराणिक कथा से जुड़ा है इतिहास
मंदिर सेजुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि कुलांत नामक राक्षस ने पूरी घाटी को डुबोना चाहा। उसने अजगर का रूप धारण कर लिया। भगवान शिव ने उससे युद्ध किया।
शिव ने राक्षस की पूंछ में आग लगा दी। इससे राक्षस की मृत्यु हो गई। माना जाता है कि उसका शरीर इसी पर्वत पर गिरा। तब से इस स्थान को कुलांत पीठ के नाम से जाना जाता है।
भगवान शिव अपने ऊपर गिरवाते हैं बिजली
स्थानीय मान्यताके अनुसार भगवान शिव स्वयं अपने ऊपर बिजली गिरवाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे धरती के सभी संकटों को अपने ऊपर ले लेते हैं। बिजली गिरने से जोरदार धमाका होता है।
शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। लेकिन स्थानीय लोग इसे एक पवित्र परंपरा मानते हैं। वे हर बारह साल बाद होने वाली इस घटना का इंतजार करते हैं।
अद्भुत है मंदिर का स्थान
मंदिर तक पहुंचनेके लिए ट्रेकिंग करनी पड़ती है। रास्ते में प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन होते हैं। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां का नजारा शानदार है। पर्यटक और श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।
मंदिर का वातावरण शांत और spiritual है। लोग यहां आकर अद्भुत शांति का अनुभव करते हैं। यह स्थान धार्मिक और प्राकृतिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
जीवंत है स्थानीय मान्यताएं
स्थानीय लोग इस मंदिर कोलेकर गहरी आस्था रखते हैं। वे हर बारह साल में होने वाली इस घटना को भगवान शिव का चमत्कार मानते हैं। शिवलिंग के टूटने और जुड़ने की प्रक्रिया में वे सक्रिय भाग लेते हैं।
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। आज भी लोग इसे उतनी ही श्रद्धा के साथ निभाते हैं। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
