Bihar News: बिहार में चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले चरण का अंतिम आंकड़ा जारी किया। राज्य में अब कुल 7.24 करोड़ मतदाता हैं। इस प्रक्रिया में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिनमें मृत, विस्थापित और विदेशी मतदाता शामिल हैं। 24 जून 2025 को शुरू हुए इस अभियान में 99.8% मतदाताओं को कवर किया गया।
SIR अभियान का पहला चरण पूरा
चुनाव आयोग ने बिहार में 24 जून 2025 से शुरू हुए SIR के पहले चरण को 25 जुलाई तक लगभग पूरा किया। इस दौरान बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) और बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) ने घर-घर जाकर गणना फॉर्म एकत्र किए। आयोग ने बताया कि 7.24 करोड़ मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा किए। इस प्रक्रिया में मृत और विस्थापित मतदाताओं के नाम हटाए गए।
65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए
बिहार मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाए गए। इनमें 22 लाख मृत, 36 लाख विस्थापित और 7 लाख स्थायी रूप से दूसरे स्थान पर चले गए मतदाता शामिल हैं। आयोग ने बताया कि दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं के नाम भी केवल एक स्थान पर रखे गए। यह प्रक्रिया मतदाता सूची को सटीक और अपडेट करने के लिए की गई।
BLA की संख्या में 16% की वृद्धि
चुनाव आयोग ने SIR के सफल समापन का श्रेय बिहार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारियों, 2,976 सहायक निर्वाचन अधिकारियों, 77,895 मतदान केंद्रों पर तैनात BLO और 1.60 लाख BLA को दिया। इस दौरान BLA की संख्या में 16% की वृद्धि दर्ज की गई। 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी इस प्रक्रिया में सहयोग किया।
विपक्ष ने SIR को बताया ‘बैकडोर NRC’
बिहार में SIR को लेकर विवाद छिड़ा है। राजद-कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इसे गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों के वोटिंग अधिकार छीनने का षड्यंत्र बताया। विपक्ष ने इसे ‘बैकडोर NRC’ करार दिया। तेजस्वी यादव ने दावा किया कि यह NDA को फायदा पहुंचाने की साजिश है। बिहार में केवल 2.8% लोगों के पास 2001-2005 के बीच जन्म प्रमाणपत्र हैं।
अगले चरण में छूटे मतदाताओं को मौका
चुनाव आयोग ने कहा कि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक छूटे हुए पात्र मतदाताओं को ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल करने का अवसर मिलेगा। दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं का नाम केवल एक स्थान पर रखा जाएगा। बिहार में शुरू हुआ यह अभियान अब पूरे देश में लागू करने की योजना है। 2003 के बाद यह पहला इतना व्यापक पुनरीक्षण है।
