Rohtas News: बिहार के रोहतास जिले में मूसलाधार बारिश ने दिल्ली-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग को पूरी तरह से ठप कर दिया है। सैकड़ों वाहन पिछले चार दिनों से लंबे ट्रैफिक जाम में फंसे हुए हैं। रोहतास से औरंगाबाद तक पैंसठ किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ है। लोगों को कुछ किलोमीटर की दूरी तय करने में भी घंटों लग रहे हैं।
पिछले शुक्रवार की भारी बारिश के बाद हाईवे पर बने डायवर्जन और सर्विस लेन पानी में डूब गए हैं। ट्रक, बसें, कारें और मोटरसाइकिलें सभी लंबी कतार में फंसी हुई हैं। वाहन चालकों को भोजन और पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन की ओर से कोई ठोस राहत कार्य नहीं दिख रहा है।
वाहन चालकों की दयनीय स्थिति
ट्रक ड्राइवर प्रवीण सिंह ने बताया कि वह तीस घंटे में सिर्फ सात किलोमीटर चल पाए हैं। उन्होंने कहा कि टोल टैक्स और रोड टैक्स देने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली है। एक अन्य ड्राइवर ने बताया कि वह दो दिन से जाम में फंसे हैं। खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं है।
कई जगहों पर वाहन चौबीस घंटे में केवल पांच किलोमीटर का सफर तय कर पा रहे हैं। हर तरफ गड्ढे और जलजमाव होने से वाहन फिसल रहे हैं। ट्रैफिक जाम लगातार बढ़ता जा रहा है। लोगों का जीवन दूभर हो गया है।
निर्माण कंपनी के अस्थायी रास्ते बने मुसीबत
छह लेन हाईवे का निर्माण कर रही कंपनी ने कई अस्थायी रास्ते बनाए थे। लेकिन बारिश के बाद ये रास्ते कीचड़ और गड्ढों में बदल गए हैं। वाहन चालकों को इन्हीं खराब रास्तों से गुजरना पड़ रहा है। कई वाहन गड्ढों में फंसकर रह गए हैं।
एंबुलेंस, पैदल यात्री और पर्यटक वाहन भी बुरी तरह प्रभावित हैं। व्यापार पर भी बुरा असर पड़ा है। कच्चा माल और खाद्य वस्तुएं ले जा रहे वाहन चालक नुकसान से डरे हुए हैं। समय पर माल न पहुंच पाने का खतरा मंडरा रहा है।
प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ी समस्या
जब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रंजीत वर्मा से इस मुद्दे पर बात की गई तो उन्होंने कैमरे पर आने से इनकार कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि न तो एनएचएआई के कर्मचारी दिख रहे हैं और न ही प्रशासन ने कोई कदम उठाया है।
लोगों ने टोल टैक्स वसूले जाने के बावजूद सुविधाओं के अभाव पर सवाल उठाए हैं। वाहन चालक सड़क की खराब हालत से नाराज हैं। उनका कहना है कि बारिश के मौसम में पहले से बेहतर तैयारी की जानी चाहिए थी। अब तक की गई लापरवाही ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
