Bihar Sharif News: बिहारशरीफ स्थित सदर अस्पताल में मंगलवार को एक मरीज की मौत के बाद भारी हिंसा भड़क उठी। आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की और डॉक्टरों पर हमला किया। इस घटना के बाद डॉक्टरों ने सुरक्षा की मांग को लेकर ओपीडी सेवाएं बंद कर दी हैं। उन्होंने हड़ताल का ऐलान कर दिया है। इससे अस्पताल में मरीजों का इलाज पूरी तरह ठप हो गया है।
मृतक की पहचान संजय सिंह के रूप में हुई है। वह नेपुरा गांव के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि संजय दुर्गा पूजा के दौरान कलश स्थापना कर रहे थे। वह पांच दिनों से लगातार अपने सीने पर कलश रखकर मां की आराधना कर रहे थे। मंगलवार सुबह अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। परिजनों ने उन्हें तुरंत सदर अस्पताल ले आए।
अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने संजय को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद मामला गर्मा गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि उन्हें इलाज के लिए पहले पुर्जा काटने के चक्कर में उलझाया गया। पुर्जा काटने वाला कर्मी करीब बीस मिनट बाद काउंटर पर आया। इस देरी के कारण मरीज को सही समय पर इलाज नहीं मिल सका।
मौत की खबर मिलते ही परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने अस्पताल के अंदर ही हंगामा शुरू कर दिया। उग्र भीड़ ने अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने ड्यूटी पर तैनात नर्सों और गार्ड्स पर भी हमला किया। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि डॉक्टरों को अपनी जान बचाने के लिए कमरों में बंद होना पड़ा।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर वे ऐसा नहीं करते तो हमलावर उनकी जान ले सकते थे। इस घटना के बाद अस्पताल के डॉक्टरों में गुस्सा है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से ओपीडी सेवाएं बंद कर दी हैं। डॉक्टर विश्वजीत कुमार ने स्पष्ट कहा कि जब तक उनकी सुरक्षा का ठोस इंतजाम नहीं होगा, वे काम नहीं करेंगे।
घटना की सूचना मिलते ही सदर के डीएसपी नूरुल हक दलबल मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। डीएसपी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज के आधार में सभी दोषियों की पहचान की जाएगी। उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने डॉक्टरों से शांत रहने की अपील की है।
हालांकि इस पूरे प्रकरण में एक नया मोड़ तब आया जब परिजन शव को गांव ले गए। गांव पहुंचने पर कुछ ग्रामीणों ने दावा किया कि संजय की सांस अभी चल रही है। इसके बाद परिजनों ने उन्हें तुरंत पवापुरी स्थित भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान ले गए। वहां के डॉक्टरों ने भी संजय को मृत घोषित कर दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि संजय की तबीयत एक दिन पहले से ही खराब थी। स्थानीय डॉक्टर ने उन्हें कलश रखने से मना किया था। लेकिन संजय ने इस पर ध्यान नहीं दिया। मंगलवार सुबह उनका ब्लड प्रेशर गिरने लगा था। इसके बाद ही उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इस पूरे मामले ने स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
इस हिंसक घटना का असर अस्पताल के अन्य मरीजों पर पड़ा है। ओपीडी बंद होने से उन्हें इलाज में दिक्कतें आ रही हैं। अस्पताल परिसर में अब भी तनाव बना हुआ है। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की है। डॉक्टरों और प्रशासन के बीच बातचीत जारी है।
