Patna News: बिहार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष अपनी मांग रखी है। कर्मी राज्य सरकार से पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कैडर लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस कैडर के तहत सभी एनएचएम कर्मियों को समायोजित कर नियमित किया जाना चाहिए। यह मांग स्वास्थ्य कर्मियों के भविष्य और सम्मान से जुड़ी हुई है।
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने स्पष्ट किया कि यह केवल उनकी व्यक्तिगत मांग नहीं बल्कि जन स्वास्थ्य की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि वर्षों से उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कालाजार उन्मूलन, मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों के नियंत्रण में इन कर्मियों की भूमिका अहम रही है। इनके प्रयासों से बिहार के नागरिक इन बीमारियों से मुक्त हो पाए हैं।
कर्मियों का दावा – सेवाओं को मिले मान्यता
स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि उन्होंने वर्षों तक अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन किया है। अब समय आ गया है कि उनकी सेवाओं को आधिकारिक मान्यता मिले। पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कैडर लागू करना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे न केवल कर्मियों का भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी मिल सकेंगी।
कर्मियों ने केटीएस के माध्यम से अपनी इस मांग को प्रमुखता से उठाया है। उनका तर्क है कि जिस प्रकार राज्य के नागरिक मलेरिया, डेंगू और कालाजार जैसी बीमारियों से मुक्त हुए हैं, उसी प्रकार उनकी सेवाओं को भी मान्यता मिलनी चाहिए। यह मांग स्वास्थ्य कर्मियों के सम्मान और सुरक्षा से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है।
सरकारी स्तर पर उठाई जा रही है मांग
राज्य स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार संविदा कर्मियों की यह मांग गंभीरता से ली जा रही है। इस मामले को मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर भी उठाया गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कर्मियों को नियमित किया जाता है तो स्वास्थ्य प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इससे राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती मिलेगी।
कर्मी अपने इस संघर्ष को केवल अपने हितों तक सीमित नहीं मानते। उनका कहना है कि यह बिहार की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास भी है। स्थिर और सुरक्षित कार्यबल बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होता है। इसलिए यह मांग जन स्वास्थ्य के हित में भी महत्वपूर्ण है।
भविष्य की संभावनाएं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री पर इस मामले में निर्णायक भूमिका निभाने की जिम्मेदारी है। एनएचएम कर्मियों का यह प्रयास राज्य में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। स्वास्थ्य कर्मियों के सम्मान और स्थिरता की यह मांग राज्य की स्वास्थ्य नीतियों में सुधार का अवसर प्रदान करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि संविदा कर्मियों के नियमितीकरण से स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित होगी। इससे ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रही है। भविष्य में सकारात्मक परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।
