Bihar News: बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने विभागीय अधिकारियों पर सख्त रवैया अपनाया है। एक कार्यशाला के दौरान डीसीएलआर, एडीएम और सीओ जैसे वरिष्ठ अधिकारी उनके सवालों का जवाब देने में विफल रहे। भूमि सुधार जनकल्याण वर्कशॉप में मंत्री ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सीधे सवाल उठाए। अधिकारी मंत्री के तीखे सवालों के सामने चुप्पी साधे रहे।
मंत्री ने पूछा कि फर्जी कागजात पर काम करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इस सवाल पर कोई भी अधिकारी उत्तर देने नहीं आया। इस घटना ने विभाग में मौजूद लापरवाही और जवाबदेही के अभाव को उजागर किया है। सभी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद थे लेकिन कोई जवाब नहीं दे पाया।
अंचलाधिकारियों से पूछे गए सीधे सवाल
उपमुख्यमंत्री ने अंचल शाहपुर के अंचलाधिकारी से पूछा कि आपराधिक कानून क्या है। अधिकारी ने जवाब दिया कि उन्हें पद पर आए केवल दो माह हुए हैं। इससे पहले वे राजस्व अधिकारी थे और उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। इस तरह का जवाब विभागीय प्रशिक्षण की कमी को दर्शाता है।
सहरसा जिले के सोनवर्षा अंचल के अधिकारी से पूछा गया कि उनके यहां राजस्व मामले लंबित क्यों हैं। अधिकारी ने बताया कि वे ट्रेनी हैं और 14 नवंबर को ही पद पर आए हैं। पिछले अधिकारी छुट्टी पर चले गए थे। यह जवाब भी लंबित मामलों की जिम्मेदारी तय करने में असमर्थता दिखाता है।
पुलिस सहयोग न मिलने पर डीजीपी से शिकायत का आदेश
उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने जमीन विवाद के मामलों में नया निर्देश जारी किया। उन्होंने कहा कि शनिवार को अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी गंभीरता से लोगों की शिकायतें सुनें। यदि समाधान करने में पुलिस का सहयोग नहीं मिलता है तो पुलिस महानिदेशक को लिखित शिकायत की जाए।
इससे पुलिस विभाग के साथ समन्वय में सुधार की उम्मीद की जा रही है। यह कदम भूमि विवादों के त्वरित समाधान के लिए उठाया गया है। नागरिकों को अब सीधे उच्च स्तर पर शिकायत करने का विकल्प मिलेगा। इससे अधिकारियों पर काम का दबाव बढ़ेगा।
राजस्व विभाग की 100 दिन की कार्य योजना
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीनी स्तर पर सुधार के लिए 100 दिन की योजना बनाई है। इसके तहत जिलों में भूमि सुधार जनकल्याण संवाद आयोजित किए जा रहे हैं। विभाग की पहली प्राथमिकता दाखिल-खारिज, परिमार्जन प्लस और अभियान बसेरा 2 के तहत जमीन दिलाना है।
दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्लस के मामलों को लंबित रखने पर रोक लगाने पर जोर दिया जा रहा है। नए साल में हर प्रमंडल में इसकी समीक्षा की जाएगी। इस योजना का मुख्य लक्ष्य विभाग की कार्यक्षमता और पारदर्शिता में सुधार लाना है।
उपमुख्यमंत्री के सख्त रुख से विभागीय अधिकारियों में हलचल है। अधिकारियों से अब अधिक जवाबदेही और कार्यकुशलता की अपेक्षा की जा रही है। इस कार्यशाला में हुई चर्चा से विभाग की वर्तमान चुनौतियां स्पष्ट हुई हैं।