Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर की पार्टी को बड़ा झटका दिया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 64 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी का एक भी उम्मीदवार जीत नहीं सका। सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। एनडीए में शामिल होने के बावजूद सुभासपा को यह निराशाजनक परिणाम मिला।
सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने इस हार पर अलग प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि पार्टी का उद्देश्य महागठबंधन को हराना था। एनडीए की जीत से यह उद्देश्य पूरा हुआ। हालांकि यह बयान चुनाव पूर्व की स्थिति से अलग है। ओम प्रकाश राजभर को भाजपा से चार सीटें मिलने की उम्मीद थी।
चुनाव पूर्व की स्थिति
अक्टूबर में सुभासपा मुखिया भाजपा नेतृत्व से नाराज दिख रहे थे। भाजपा ने उन्हें एक सीट भी नहीं दी थी। इसके जवाब में राजभर ने 110 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया। बाद में नामांकन वापसी के बाद 64 सीटों पर चुनाव लड़ा गया। इनमें 27 सीटें विशेष रूप से चिन्हित थीं।
इन सीटों पर राजभर, रजवार, राजवंशी और राय समुदाय के लोग अधिक संख्या में रहते हैं। पार्टी ने इन क्षेत्रों में दो महीने तक intensive प्रचार किया। ओम प्रकाश राजभर ने भी छह दिनों तक बिहार में चुनावी रैलियां कीं। उन्होंने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों की तारीफ की।
भाजपा नेताओं पर तंज
राजभर ने चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा के पांच मुख्यमंत्री और पूरी केंद्र सरकार एक लड़के से लड़ रही है। उन्हें उम्मीद थी कि सुभासपा बिहार में अपना खाता खोलेगी। लेकिन मतदाताओं ने उनके सभी उम्मीदवारों को खारिज कर दिया।
चुनाव परिणामों के बाद सुभासपा की स्थिति कमजोर हुई है। भाजपा के भीतर भी उनके खिलाफ माहौल बन रहा है। कई नेता उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने की मांग कर रहे हैं। उनके चुनाव प्रचार期间 बयानों को लेकर विवाद पैदा हुआ है।
भाजपा में बढ़ती नाराजगी
भाजपा के मंत्रियों और विधायकों का कहना है कि राजभर ने एनडीए के खिलाफ प्रचार किया। उन्होंने कहा था कि अधिक वोटिंग होने पर तेजस्वी यादव की सरकार बनेगी। यह बयान गठबंधन साझीदार के लिए उचित नहीं था। भाजपा नेताओं की बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा।
वे मांग करेंगे कि राजभर को मंत्रिमंडल से हटाया जाए। कुछ नेता चाहते हैं कि उनसे पंचायती राज जैसा बड़ा विभाग लेकर छोटा विभाग दिया जाए। यह 2019 के बाद दूसरा मौका है जब राजभर विवादों में हैं। उस समय भी उन्होंने भाजपा के खिलाफ बगावत की थी।
बिहार चुनाव के ये नतीजे सुभासपा के लिए बड़ा झटका हैं। पार्टी उत्तर प्रदेश में भाजपा की महत्वपूर्ण सहयोगी है। इस हार से उनकी सौदेबाजी की ताकत कमजोर हुई है। भविष्य में गठबंधन की राजनीति में उनकी भूमिका प्रभावित हो सकती है।
