Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली प्रचंड जीत सिर्फ सरकार गठन का जनादेश नहीं है। बहुमत के लिए केवल 122 सीटों की जरूरत थी लेकिन एनडीए को इससे लगभग सौ सीटें अधिक मिली हैं। यह जनादेश साबित करता है कि जनता विकास और सतत विकास को प्रमुख मुद्दा मानती है।
बिहार में इस जीत की गूंज अब अन्य राज्यों तक पहुंचेगी। यह संदेश स्पष्ट है कि जनता केवल उन्हीं वादों और नारों पर विश्वास करती है जिनकी विश्वसनीयता हो। मोदी-नीतीश की जोड़ी ने डबल इंजन सरकार में लोगों का भरोसा कायम किया है।
विपक्षी रणनीति की विफलता
चुनाव परिणाम ने साबित किया कि राजनीति में घोर परिवारवाद लोगों को पसंद नहीं आता। वोट चोरी और चुनाव में हेराफेरी जैसे नकारात्मक नारों ने विपक्ष का ही नुकसान किया। विपक्षी दलों को चुनावी रणनीति के नए पाठ सीखने की जरूरत है।
नई पार्टी बनाना आसान है लेकिन लोगों का दिल जीतना मुश्किल काम साबित हुआ। अधिकतर लोग इस चुनाव परिणाम से हैरान हैं क्योंकि राजग नेताओं ने भी इतनी बड़ी जीत की उम्मीद नहीं की थी।
नीतीश कुमार की ऐतिहासिक उपलब्धि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक की सबसे बड़ी जीत की भविष्यवाणी की थी। बिहार में विकास की ललक और महिलाओं में उत्कंठा ने इस जनादेश को जन्म दिया। बिहारी आत्मसम्मान की प्रबल भावना ने यह साबित कर दिया।
वर्ष 2010 में भी नीतीश कुमार को इसी तरह की बड़ी जीत मिली थी। बीस साल तक सत्ता में रहने के बाद भी उनकी लोकप्रियता बरकरार है। पीएम मोदी की विश्वसनीयता ने इस जीत को और मजबूती प्रदान की।
एनडीए की एकजुटता ने दिखाया असर
मोदी का चेहरा, मोदी की गारंटी और नीतीश कुमार के प्रति सद्भाव ने कमाल कर दिया। अमित शाह की चुनावी रणनीति पूरी तरह सफल रही। एनडीए ने संकल्पपत्र में उन सभी मुद्दों को शामिल किया जो लोगों के दिलों में थे।
राजग एकजुट होकर चुनाव लड़ा जबकि महागठबंधन में आखिरी समय तक मतभेद दिखे। जनता ने स्पष्ट समझदारी दिखाते हुए जातिवाद की राजनीति को खारिज कर दिया। NDA victory ने राज्य की राजनीति में नई इबारत लिख दी।
पश्चिम बंगाल पर पड़ेगा प्रभाव
बिहार चुनाव के नतीजे का असर आने वाले पश्चिम बंगाल चुनाव पर दिखेगा। बिहार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में महागठबंधन ने गलत मुद्दों पर चुनाव लड़ा। एसआइआर जैसे मुद्दे पर केंद्रित रहने की रणनीति विफल रही।
पश्चिम बंगाल में एसआइआर की शुरुआत हो चुकी है और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। बिहार के नतीजे से तृणमूल कांग्रेस को सबक लेने की जरूरत है। Bihar election ने राष्ट्रीय राजनीति की दिशा तय कर दी है।
राहुल गांधी की रणनीति पर सवाल
चुनाव में राहुल गांधी ने बिहार के मुद्दों की बजाय मोदी, भाजपा और संघ पर ज्यादा बयान दिए। इससे सवाल उठता है कि वह मुद्दों से भटक गए। तथ्यों के आधार पर आक्रामक होने की बजाय आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।
राहुल गांधी ने महापर्व छठ से जुड़े मुद्दे पर ड्रामा शब्द का इस्तेमाल किया था। भाजपा ने इसे प्रमुखता से उठाया। एक रैली में पीएम मोदी की मां के लिए अश्लील शब्द कहे गए लेकिन राहुल या तेजस्वी यादव ने खेद नहीं जताया।
जनसुराज पार्टी का फ्लॉप शो
बिहार चुनाव में जनसुराज पार्टी और प्रशांत किशोर की चर्चा ज्यादा थी। लेकिन पार्टी का फ्लॉप होना साबित करता है कि कोच और प्लेयर में फर्क होता है। जनसुराज में ज्यादातर लोग पुराने राजनीतिक चेहरे थे।
नई पार्टी सिर्फ नाम से नहीं बनती है। इस नतीजे ने जनसुराज पार्टी के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए। राजद और कांग्रेस के लिए यह चुनाव बहुत बड़ी चेतावनी साबित हुआ है।
