Patna News: बिहार की राजनीति में नया मोड़ आया है। महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने अलग यात्रा शुरू की है। यह यात्रा सोलह सितंबर से शुरू होगी। इस कदम को गठबंधन में बढ़ते तनाव का संकेत माना जा रहा है।
तेजस्वी यादव की इस यात्रा ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। यह घटना कांग्रेस और राजद के बीच बढ़ते मतभेदों को दर्शाती है। दोनों दलों के बीच सहयोग को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
कांग्रेस कार्यक्रम का बहिष्कार
हाल की एक घटना ने इस संकट को और गहरा दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने औरंगाबाद में एक सम्मेलन आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में राजद के नेताओं ने भाग नहीं लिया। इससे दोनों दलों के बीच की दूरी स्पष्ट हो गई।
मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद
सूत्रों के अनुसार मुख्य मुद्दा मुख्यमंत्री पद का है। राजद चाहता है कि तेजस्वी यादव को सीएम पद के लिए घोषित किया जाए। कांग्रेस इस पर सहमति देने में हिचकिचा रही है। इसके अलावा सीटों के बंटवारे को लेकर भी मतभेद हैं।
गठबंधन पर संकट
महागठबंधन की सबसे बड़ी ताकत विभिन्न दलों को साथ लाना रही है। अब यही ताकत चुनौती बनती दिख रही है। सहयोगी दल अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं। इससे गठबंधन का भविष्य अनिश्चित हो गया है।
एनडीए को फायदा
विपक्षी दलों के बीच चल रहे इस तनाव का सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है। भाजपा और उसके सहयोगी पहले से ही मजबूत स्थिति में हैं। गठबंधन के कमजोर होने से एनडीए की स्थिति और मजबूत होगी।
बातचीत के रास्ते खुले
अभी भी दोनों दलों के बीच बातचीत जारी है। कांग्रेस ने अपने रुख में कुछ नरमी दिखाई है। आने वाले दिनों में कोई सकारात्मक समाधान निकल सकता है। चुनाव से पहले गठबंधन का एकजुट रहना जरूरी है।
बिहार की राजनीति में गठबंधनों का टूटना और बनना नई बात नहीं है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वर्तमान संकट का समाधान कैसे निकलता है। दोनों दलों को अपने अंतर मतभेदों को दूर करना होगा।
