Bihar News: महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इस मौके पर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव मंच पर मौजूद थे। लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का ना होना सबकी नजर में था। उनकी इस अनुपस्थिति ने पार्टी के भीतर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे सीट बंटवारे को लेकर मतभेद को एक बड़ा कारण मान रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने पटना में ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’ नाम से घोषणापत्र जारी किया। इस कार्यक्रम में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा भी शामिल हुए। घोषणापत्र के कवर पेज पर राहुल गांधी की तस्वीर साफ दिख रही थी। लेकिन मंच पर उनकी जगह खाली थी। यह दृश्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक साबित हुआ।
राहुल गांधी लगभग दो महीने से बिहार के चुनावी दौर से दूर हैं। उन्हें आखिरी बार एक सितंबर को देखा गया था। तब वह तेजस्वी यादव के साथ ‘वोट अधिकार यात्रा’ के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उसके बाद से वह न तो किसी रैली में गए और न ही किसी चुनावी बैठक में शिरकत की।
महागठबंधन में मतभेद की आहट
जब महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर मुश्किलें आ रही थीं, तब भी राहुल गांधी सामने नहीं आए। उस वक्त दिल्ली से अशोक गहलोत को ही बातचीत के लिए पटना भेजा गया। गहलोत ने लालू यादव और तेजस्वी यादव से बातचीत कर समझौता कराया। इसी के बाद तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया।
कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी की इस लंबी अनुपस्थिति को लेकर बेचैनी है। एक वरिष्ठ नेता ने माना कि वोट अधिकार यात्रा से मिले जोश पर पानी सा पड़ गया है। कार्यकर्ता उनके मार्गदर्शन का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच राहुल गांधी दिल्ली की एक मिठाई की दुकान पर दिखे। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं।
सीएम चेहरे और सीट बंटवारे पर टकराव
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि राहुल की यह चुप्पी महज संयोग नहीं है। कांग्रेस और राजद के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आए थे। कांग्रेस नेता उदित राज ने भी साफ कहा था कि इंडिया गठबंधन का चेहरा सामूहिक तय होगा। यह बात तेजस्वी के सीएम उम्मीदवार घोषित होने के बाद कही गई।
इन्हीं परिस्थितियों में कांग्रेस नेतृत्व ने बिहार चुनाव में अपनी भूमिका सीमित कर ली। पार्टी ने बड़े रैली-समारोहों से परहेज किया। हालांकि, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के.सी. वेणुगोपाल ने भरोसा दिलाया है कि राहुल गांधी जल्द ही बिहार लौटेंगे। उन्होंने कहा कि छठ के बाद राहुल गांधी की तेजस्वी यादव के साथ संयुक्त रैली होगी।
पार्टी में बढ़ रही है बेचैनी
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि घोषणापत्र जारी करने के मौके पर राहुल गांधी जरूर आएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे पार्टी के अंदर निराशा का माहौल है। कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहे हैं कि पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा चुनाव प्रचार से दूर क्यों है। यह सवाल लगातार उठ रहे हैं।
हालांकि पार्टी नेतृत्व ने इन सभी सवालों को गंभीरता से नहीं लिया है। उनका कहना है कि राहुल गांधी समय आने पर सक्रिय हो जाएंगे। फिलहाल पार्टी की रणनीति के तहत ही वह चुनाव प्रचार में पूरी तरह शामिल नहीं हुए हैं। आने वाले दिनों में उनकी भूमिका और स्पष्ट होगी।
बिहार चुनाव में महागठबंधन की स्थिति को मजबूत करने के लिए राहुल गांधी की मौजूदगी बहुत जरूरी मानी जा रही है। कार्यकर्ता चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द बिहार पहुंचे और चुनावी दौरे शुरू करें। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और महागठबंधन को फायदा मिलेगा।
