Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत के अगले ही दिन भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ा फैसला लिया है। पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरा से सांसद आरके सिंह को छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में की गई है। इससे पहले वह नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री पद पर भी रह चुके हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस निष्कासन की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि यह निर्णय पार्टी अनुशासन के उल्लंघन को देखते हुए लिया गया है। चुनाव प्रचार के दौरान आरके सिंह ने पार्टी के विरुद्ध सार्वजनिक बयान दिए थे। इसके बाद यह कार्रवाई अपेक्षित मानी जा रही थी।
चुनाव बयानों ने बढ़ाई मुश्किल
बिहार चुनाव केदौरान आरके सिंह ने कई विवादित बयान दिए थे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से मतदाताओं से तारापुर सीट पर एनडीए उम्मीदवार सम्राट चौधरी को वोट न देने की अपील की थी। यह बयान पार्टी内部 के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हुआ। इससे गठबंधन साझीदारों के बीच भी तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी।
आरके सिंह ने एनडीए द्वारा कुछ विवादित नेताओं को टिकट दिए जाने पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने अनंत सिंह और विभा देवी जैसे नेताओं के टिकट पर सीधे तौर पर आपत्ति जताई थी। यह बयान चुनावी माहौल में काफी चर्चा का विषय बने रहे। पार्टी ने तब इन बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
चुनाव बाद का सफाई अभियान
राजनीतिक विश्लेषक इस निष्कासन कोचुनाव परिणामों के बाद शुरू हुए सफाई अभियान का हिस्सा मान रहे हैं। चुनाव期间 पार्टी ने आरके सिंह के बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। परिणाम आते ही पार्टी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई का फैसला सुनाया। इससे पार्टी में अनुशासन के प्रति गंभीरता का संदेश जाता है।
आरके सिंह चुनाव प्रचार के दौरान शाहबाद क्षेत्र की रैलियों में भी नजर नहीं आए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों में भी भाग नहीं लिया था। यह उनकी नाराजगी का एक और संकेत माना जा रहा था। पार्टी में उनकी भूमिका पहले से ही सीमित होती जा रही थी।
लंबे समय से चल रहा था तनाव
सूत्रोंके अनुसार, आरके सिंह का पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेद लंबे समय से चल रहा था। वह पार्टी के भीतर सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहे थे। चुनावी रणनीति और टिकट वितरण को लेकर उनकी असहमति सार्वजनिक होती रही थी। यह निष्कासन उन मतभेदों का तार्किक परिणाम साबित हुआ है।
भाजपा का यह कदम पार्टी में बढ़ रहे असंतोष पर अंकुश लगाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यह संदेश जाना चाहिए कि पार्टी अनुशासन के मामले में कोई समझौता नहीं करेगी। भविष्य में भी ऐसी कार्रवाई की जा सकती है अगर कोई नेता पार्टी लाइन से इतर जाता है।
बिहार में एनडीए की जीत के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया है। इससे स्पष्ट है कि चुनाव जीतने के बाद पार्टी आंतरिक मामलों पर ध्यान दे रही है। आरके सिंह के निष्कासन से पार्टी में एकरूपता बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह भविष्य की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।
