Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को शानदार सफलता मिली है। इस चुनाव में हिमाचल प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी डॉक्टर जेपी सिंह ने वीआरएस लेकर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया था। लेकिन उन्हें चुनाव में बुरी तरह पराजय का सामना करना पड़ा है। उनकी जमानत तक जब्त हो गई।
डॉक्टर जेपी सिंह ने छपरा सीट से चुनाव लड़ा था। उन्हें केवल 3433 मतों का समर्थन मिला। वह इस सीट पर दस उम्मीदवारों में चौथे स्थान पर रहे। उनकी हार का अंतर 83412 वोटों का रहा। वह प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे।
डॉक्टर जेपी सिंह वर्ष 2000 बैच के आइपीएस अधिकारी थे। वह इसी साल जनवरी महीने में पदोन्नत होकर एडीजीपी बने थे। उन्होंने जुलाई माह में ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। यदि वह वीआरएस नहीं लेते तो उन्हें 31 जुलाई 2027 को सेवानिवृत्त होना था।
हिमाचल प्रदेश पर चुनावी असर
बिहार के चुनाव नतीजों के बाद हिमाचल प्रदेश की राजनीति में इसके प्रभाव पर चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस का मानना है कि हिमाचल की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं। मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने स्पष्ट किया कि बिहार के नतीजों का हिमाचल से कोई सीधा संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव प्रदेश विशेष के मुद्दों पर केंद्रित होते हैं। कांग्रेस सरकार जनता को दी गई गारंटियों को चरणबद्ध तरीके से पूरा कर रही है। सरकार की नीतियों का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है।
महिला वोटरों की भूमिका
बिहार चुनाव में एनडीए की सफलता में महिला मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देने का वादा किया था। सरकार ने इस योजना को लागू तो किया है लेकिन अभी तक नियमित भुगतान में कुछ कठिनाइयां आ रही हैं।
मूल गारंटी में सभी महिलाओं को लाभ देने की बात कही गई थी। अभी तक यह पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सरकार इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करती है तो भविष्य में इसका सकारात्मक लाभ मिल सकता है।
रणनीति में बदलाव की संभावना
बिहार के चुनावी परिणामों ने राजनीतिक दलों के लिए नई चुनौतियां और अवसर पैदा किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार और संगठन इन नतीजों को आधार मानकर अपनी रणनीति में बदलाव करते हैं तो यह टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। हिमाचल में सरकार को बने अभी तीन साल का समय हुआ है।
अभी दो साल का समय शेष है जिसमें सरकार अपने कार्यों के माध्यम से जनता का विश्वास बनाए रख सकती है। प्रदेश की जनता स्थानीय मुद्दों और विकास कार्यों के आधार पर अपना निर्णय लेती है। केंद्रीय राजनीति का प्रभाव सीमित रहता है।
मुख्यमंत्री सुक्खू की दिल्ली यात्रा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली पहुंचे हैं। उनके चार दिवसीय दौरे में उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भाग लेना शामिल है। इस बैठक में क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी है। पर्यटन, सड़क संपर्क और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस बैठक में पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे। क्षेत्रीय विकास और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सामूहिक रणनीति बनाने पर जोर दिया जाएगा। यह बैठक राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
