Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया है। मतगणना शुरू होने के दो घंटे के भीतर ही एनडीए 160 सीटों का आंकड़ा पार कर गया। सुबह 10:15 बजे तक गठबंधन 162 सीटों पर आगे चल रहा था।
विपक्षी महागठबंधन 77 सीटों पर सिमट गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भविष्यवाणी सही साबित होती दिख रही है। उन्होंने एनडीटीवी बिहार पावर प्ले समिट में कहा था कि एनडीए 160 सीटें जीतेगा और दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनाएगा।
नीतीश कुमार की वापसी
इस चुनाव की सबसे बड़ी कहानी नीतीश कुमार की वापसी है। 2020 के चुनाव के बाद जदयू को छोटे भाई का दर्जा मिल गया था। पार्टी केवल 43 सीटें जीत पाई थी जबकि बीजेपी 74 सीटों के साथ उभरी थी। इस बार जदयू 74 सीटों पर आगे चल रही है।
राजद अपनी सबसे बड़ी पार्टी की हैसियत खोने जा रही है। 2020 में पार्टी ने 75 सीटें जीती थीं और बीजेपी से एक सीट अधिक हासिल की थी। इस बार वह बीजेपी और जदयू दोनों से पीछे नजर आ रही है। पार्टी को काफी कम सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है।
पांच पांडवों की जंग
अमित शाह ने पिछले हफ्ते एनडीए में किसी रंजिश की बात को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पांचों घटक दल एकजुट हैं और कोई विवाद नहीं है। शाह ने इसे पांच पांडवों की लड़ाई बताया था। एनडीए में बीजेपी, जदयू, एलजेपी, हम और आरएलएम शामिल हैं।
सभी तेरह एक्सिट पोल्स ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गठबंधन को स्पष्ट जीत का पूर्वानुमान व्यक्त किया था। हालांकि कुछ ने महागठबंधन के साथ कड़े मुकाबले की संभावना जताई थी। मतगणना शुरू होते ही एनडीए ने बढ़त बना ली और धीरे-धीरे इसे बढ़ाता गया।
गठबंधन साझेदारों का प्रदर्शन
बीजेपी ने अपने पारंपरिक प्रदर्शन को बरकरार रखा है। पार्टी 2020 के मुकाबले इस बार और बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने भी अच्छी बढ़त बनाई है। छोटे सहयोगी दलों ने गठबंधन की स्थिति को मजबूत किया है।
महागठबंधन की ओर से कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। पार्टी 2020 के मुकाबले कम सीटों पर सिमटती दिख रही है। वाम दलों ने भी अपना असर दिखाया है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी कुछ सीटों पर अच्छी बढ़त बनाई है।
चुनावी रुझानों का विश्लेषण
मतगणना के शुरुआती रुझान एनडीए के पक्ष में मजबूत संकेत दे रहे हैं। गठबंधन ने सभी क्षेत्रों में अच्छी बढ़त बनाई है। महागठबंधन के पारंपरिक गढ़ों में भी एनडीए ने दखल दिया है। यह परिणाम राज्य की राजनीति में नए बदलाव की ओर इशारा करता है।
बिहार में एनडीए की जीत केंद्र सरकार की नीतियों के लिए जनादेश माना जा रहा है। महागठबंधन के लिए यह निराशाजनक परिणाम साबित हो रहा है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व को इससे काफी झटका लग सकता है। राज्य में एनडीए सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया है।
