Bihar News: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है। आयोग के अनुसार, 88.66% मतदाताओं ने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं। इस प्रक्रिया से लगभग 35.5 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हट सकते हैं। यह अभियान 25 जुलाई तक चलेगा, जिसके बाद ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त को जारी होगी।
गणना फॉर्म जमा करने की प्रगति
चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार के 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 6.6 करोड़ ने गणना फॉर्म जमा किए हैं। यह कुल मतदाताओं का 88.18% है। बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने घर-घर जाकर फॉर्म वितरित किए। मतदाताओं को 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करने का समय है। इसके बाद, 1 अगस्त को ड्राफ्ट सूची प्रकाशित होगी और 30 सितंबर को अंतिम सूची आएगी।
मतदाता सूची से हटने वाले नाम
आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 12.5 लाख मृत मतदाताओं के नाम अभी भी सूची में हैं। इसके अलावा, 17.5 लाख मतदाता स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं। लगभग 5.5 लाख मतदाताओं का दोहरा पंजीकरण पाया गया। इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि 35.5 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया विवादों को और बढ़ा सकती है।
विदेशी नागरिकों के नाम पर सवाल
चुनाव आयोग ने खुलासा किया कि पुनरीक्षण के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ नागरिकों के नाम मतदाता सूची में मिले हैं। इन नामों को अंतिम सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। इस खुलासे ने विवाद को और हवा दी है। कई राजनीतिक दल इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का परोक्ष प्रयास मान रहे हैं। इससे और नाम हटने की संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं लंबित हैं। कोर्ट ने आयोग को आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को सत्यापन के लिए स्वीकार करने की सलाह दी है। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। कोर्ट ने अभियान के समय पर भी सवाल उठाए हैं, क्योंकि बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। यह मुद्दा मतदाताओं के बीच चिंता का विषय बना हुआ है।
अभियान की पारदर्शिता
चुनाव आयोग ने दावा किया कि अभियान पारदर्शी है। बूथ लेवल ऑफिसर मतदाताओं की सहायता के लिए तैनात हैं। फॉर्म ऑनलाइन भी जमा किए जा सकते हैं। आयोग ने राजनीतिक दलों से बूथ लेवल एजेंट नियुक्त करने को कहा है, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसकी समयसीमा और प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
मतदाताओं की चिंताएं
कई मतदाताओं, खासकर प्रवासी श्रमिकों, को दस्तावेज जमा करने में दिक्कत हो रही है। विपक्ष का आरोप है कि यह अभियान गरीब और अल्पसंख्यक समुदायों को प्रभावित कर सकता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं, वे बाद में भी सत्यापन करा सकते हैं। फिर भी, इस प्रक्रिया से लाखों मतदाताओं के वोटिंग अधिकार प्रभावित होने की आशंका है।
