Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। ये दल अब चुनाव नहीं लड़ सकते। आयोग ने कहा कि ये दल कागजों पर थे और 2019 से कोई चुनाव नहीं लड़ा। अब देश में 2520 दल बचे हैं। यह कदम राजनीतिक व्यवस्था में सुधार के लिए उठाया गया।
निष्क्रिय दलों पर कार्रवाई
चुनाव आयोग ने 334 दलों को निष्क्रिय पाया। इनके पास कार्यालय नहीं थे। ये दल सिर्फ कागजों पर चल रहे थे। आयोग ने कहा कि ये दल 2019 से कोई चुनाव नहीं लड़े। कई बार नोटिस देने के बाद भी इन्होंने शर्तें पूरी नहीं कीं। अब ये दल उम्मीदवार नहीं उतार सकते। आयोग ने इस कार्रवाई को व्यवस्था सुधार का हिस्सा बताया।
जून में शुरू हुई थी प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने जून 2025 में 345 दलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। जांच के बाद 334 दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया। आयोग ने पहले भी 2001 से निष्क्रिय दलों को हटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ऐसी कार्रवाई पर रोक लगाई थी। बाद में आयोग ने नया तरीका अपनाया। निष्क्रिय दलों को सूची से हटाने का काम पूरा किया गया।
दोबारा रजिस्ट्रेशन का मौका
एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि रद्द किए गए दल फिर से सूची में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए नई मान्यता प्रक्रिया की जरूरत नहीं होगी। दल आयोग के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। अगर वे सक्रियता साबित करते हैं, तो दोबारा रजिस्टर हो सकते हैं। आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया पारदर्शी है। दलों को नियमों का पालन करना होगा।
राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दल
आयोग के अनुसार, अब देश में 2520 मान्यता प्राप्त दल बचे हैं। इनमें 6 राष्ट्रीय और 67 राज्य स्तरीय दल शामिल हैं। रद्द किए गए दल गैर-मान्यता प्राप्त थे। ये दल विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से थे। आयोग ने कहा कि निष्क्रिय दलों को हटाने से व्यवस्था मजबूत होगी। यह कदम बिहार चुनाव से पहले अहम है।
कार्रवाई का उद्देश्य
चुनाव आयोग ने बताया कि यह कार्रवाई राजनीतिक व्यवस्था को सुधारने के लिए है। 2019 के बाद कोई चुनाव न लड़ने वाले दलों को हटाया गया। आयोग ने कहा कि यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाएगा। निष्क्रिय दलों के रजिस्ट्रेशन से व्यवस्था में भ्रम पैदा होता था। आयोग ने बिहार चुनाव से पहले व्यवस्था को दुरुस्त करने पर जोर दिया।
