Uttarakhand News: उत्तराखंड के 28 किसानों और दो उद्यान कर्मियों का एक दल हिमाचल प्रदेश के लिए रवाना हो गया है। यह दल हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित डॉ. वाईएस परमार कृषि एवं वानिकी विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण लेगा। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बुधवार को किसानों को रवाना किया। उन्होंने कहा कि राज्य में सेब और कीवी जैसी फसलों की अपार संभावनाएं हैं।
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक बागवानी तकनीकों से लैस करना है। उन्हें सेब और कीवी की उन्नत खेती, पौध संरक्षण और विपणन के गुर सीखने को मिलेंगे। इस जानकारी से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह कदम राज्य सरकार की किसान कल्याण योजनाओं का हिस्सा है।
पहले भी हुए हैं प्रशिक्षण कार्यक्रम
यह पहलामौका नहीं है जब किसानों को उन्नत प्रशिक्षण के लिए बाहर भेजा गया है। इससे पहले 56 किसानों को संरक्षित खेती सीखने भेजा जा चुका है। उन्होंने पंतनगर विश्वविद्यालय में पॉलीहाउस तकनीक का प्रशिक्षण लिया था। इससे साफ है कि राज्य कृषि के आधुनिकीकरण पर जोर दे रहा है।
हिमाचल प्रदेश का चयन इसलिए किया गया क्योंकि वह सेब उत्पादन में अग्रणी राज्य है। सोलन स्थित विश्वविद्यालय बागवानी शोध और शिक्षा का प्रमुख केंद्र है। वहां के विशेषज्ञ किसानों को व्यावहारिक ज्ञान देंगे। इससे उत्तराखंड के किसानों को सीधा फायदा मिलेगा।
सेब और कीवी की बढ़ती संभावनाएं
उत्तराखंड केपहाड़ी इलाके सेब और कीवी की खेती के लिए उपयुक्त हैं। ये दोनों फसलें अच्छे बाजार भाव पाती हैं। इनकी खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है। प्रशिक्षण के बाद किसान नई तकनीक और किस्मों का इस्तेमाल करेंगे। इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार आएगा।
कीवी एक विटामिन सी से भरपूर फल है जिसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। उत्तराखंड की जलवायु इसकी खेती के अनुकूल है। वहीं, सेब की पारंपरिक खेती को नए तरीकों से अपनाया जा सकता है। इस प्रशिक्षण से किसान इन फसलों के बारे में गहन ज्ञान हासिल करेंगे।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने इस पहल को राज्य के कृषि विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उनका कहना है कि ऐसे प्रयासों से किसानों को नई तकनीक की जानकारी सीधे मिलती है। यह जानकारी उनकी आय बढ़ाने में सीधे तौर पर मददगार साबित होगी। सरकार किसानों के लिए ऐसे और कार्यक्रम चलाएगी।
प्रशिक्षण से होगा बहुआयामी लाभ
इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण मेंकिसान हर पहलू पर ध्यान देंगे। इसमें पौध रोपण से लेकर फलों की तुड़ाई तक के तरीके शामिल हैं। पौधों को रोगों से बचाने के उपाय भी सिखाए जाएंगे। साथ ही, फसल की बिक्री के लिए बाजार से कैसे जुड़ा जाए, इसकी भी जानकारी दी जाएगी।
यह प्रशिक्षण केवल सैद्धांतिक नहीं होगा। किसानों को विश्वविद्यालय के प्रायोगिक खेतों और शोध केंद्रों का भी भ्रमण कराया जाएगा। वे वहां चल रहे नवीनतम प्रयोगों को देख सकेंगे। इससे उन्हें नई तकनीकों को समझने में आसानी होगी और वे इन्हें अपने खेतों में आजमा सकेंगे।
इस पहल से राज्य के कृषि क्षेत्र में नई गति आने की उम्मीद है। जब किसान प्रशिक्षण लेकर लौटेंगे तो वे अपने इलाके के अन्य किसानों को भी ज्ञान देंगे। इससे पूरे समुदाय को फायदा मिलेगा। सेब और कीवी की खेती राज्य के लिए नई आर्थिक संभावनाएं खोल सकती है।
किसानों का यह दल नई जानकारी और उत्साह के साथ लौटेगा। उनका यह ज्ञान राज्य के कृषि लैंडस्केप को बदल सकता है। सरकार की यह पहल किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
