New Delhi News: केंद्र सरकार और मजदूर संगठनों के बीच टकराव अब चरम पर पहुंच गया है। नए साल में सरकार को एक बड़े भारत बंद का सामना करना पड़ सकता है। देश के 10 प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ 12 फरवरी को भारत बंद का ऐलान कर दिया है। यह हड़ताल संसद के बजट सत्र के दौरान होगी, जिससे सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
शीतकालीन सत्र के बाद सड़कों पर संग्राम
संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होते ही मजदूरों ने सड़कों पर उतरने की पूरी तैयारी कर ली है। संयुक्त मंच ने 12 फरवरी, 2026 को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल बुलाई है। इस भारत बंद का असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा। संगठन श्रम कानूनों, परमाणु ऊर्जा और ग्रामीण रोजगार के नियमों में किए जा रहे बदलावों से बेहद नाराज हैं।
क्यों हो रहा है भारत बंद? 3 बड़े कारण
हड़ताल की सबसे बड़ी वजह सरकार द्वारा नवंबर में अधिसूचित किए गए चार नए लेबर कोड (Labor Codes) हैं। यूनियनें इन्हें “मजदूर विरोधी” बता रही हैं। उनका मानना है कि इससे कॉर्पोरेट जगत का दबदबा बढ़ेगा। इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में आए ‘शांति विधेयक’ का भी इंजीनियर विरोध कर रहे हैं। भारत बंद के जरिए कर्मचारी सरकार को अपनी एकजुटता का कड़ा संदेश देंगे।
मनरेगा खत्म करने पर विवाद
विरोध का तीसरा बड़ा कारण ‘मनरेगा’ का खात्मा है। सरकार इसकी जगह ‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन’ (VB-G RAM G) ला रही है। इसमें 125 दिन रोजगार की बात कही गई है। लेकिन श्रमिक संगठनों का आरोप है कि कटाई के सीजन में काम रोकने का नियम गलत है। यह नियम बड़े जमींदारों को सस्ता लेबर देने के लिए बनाया गया है। इसी के विरोध में भारत बंद का आह्वान हुआ है।
किसानों और बिजली कर्मियों का भी मिला साथ
इस भारत बंद को किसानों के ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (SKM) ने भी अपना पूर्ण समर्थन दिया है। बिजली कर्मचारियों के संगठन भी हड़ताल में शामिल होंगे। INTUC, AITUC और CITU जैसे 10 बड़े संगठन इसमें शामिल हैं, लेकिन BMS इससे दूर है। हड़ताल की अंतिम रणनीति तय करने के लिए 9 जनवरी, 2026 को दिल्ली में ‘राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन’ बुलाया गया है।
