Himachal News: भाखड़ा बांध में पानी के अत्यधिक दबाव के कारण सामान्य से अधिक झुकाव दर्ज किया गया है। इस गंभीर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने तत्काल जलस्तर घटाने का निर्णय लिया है। जलस्तर को 1673.24 फीट से घटाकर 1650 फीट तक लाया जाएगा। इस कारण डैहर पावर हाउस में 30 नवंबर तक बिजली उत्पादन बंद रहेगा। यह पहली बार है जब यह प्रोजेक्ट इतने लंबे समय के लिए बंद किया गया है।
बीबीएमबी की तकनीकी समिति के सदस्य बीएस नारा के अनुसार, पानी के दबाव से बांध में एक डिग्री से अधिक का झुकाव आ गया है। एक डिग्री तक का झुकाव सामान्य माना जाता है। इसी को देखते हुए जलस्तर कम करने का यह अहम फैसला लिया गया है। बांध की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम जरूरी बताया जा रहा है।
जलस्तर कम करने की इस प्रक्रिया के चलते ब्यास सतलुज लिंक परियोजना के 990 मेगावाट क्षमता वाले डैहर पावर हाउस को बंद करना पड़ा है। पावर हाउस को पानी देने वाली बग्गी-सुंदरनगर नहर की आपूर्ति भी रोक दी गई है। इसके परिणामस्वरूप पंडोह बांध का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ने लगा है।
पंडोह बांध के जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए अब वैकल्पिक रूप से पानी छोड़ने की आवश्यकता पड़ रही है। बीबीएमबी के अधिशाषी अभियंता संतोष राणा ने बताया कि पंडोह-बग्गी नहर को प्रशासनिक कारणों से बंद किया गया है। बांध की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त पानी छोड़ा जा रहा है।
बीबीएमबी ने आसपास के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए चेतावनी जारी की है। बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि आवश्यकता पड़ने पर पंडोह बांध के स्पिलवे गेट किसी भी समय खोले जा सकते हैं। इससे नदी में पानी का स्तर अचानक बहुत बढ़ सकता है।
मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नदी किनारे बसे क्षेत्रों के निवासियों को जागरूक करें। लोगों को नदी के किनारे अनावश्यक रूप से जाने से बचने की सलाह दी गई है। किसान, पशुपालक और मछुआरे विशेष सतर्कता बरतें।
डैहर पावर हाउस की समस्या केवल बिजली उत्पादन बंद होने तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रोजेक्ट की छह में से पांच टरबाइन में गाद भर गई है। इससे परियोजना की दक्षता पर भी असर पड़ा है और रखरखाव का कार्य और जटिल हो गया है।
बीबीएमबी के अनुसार, जलस्तर में होने वाले हर मिनट के बदलाव पर कड़ी नजर रखी जा रही है। आवश्यकता पड़ते ही गेट संचालन शुरू किया जाएगा। इस समय ब्यास और सतलुज नदी में पानी की आवक करीब 10,000 क्यूसेक बनी हुई है।
इस स्थिति की पृष्ठभूमि अगस्त के मानसून में देखी जा सकती है। बरसात के दौरान ही भाखड़ा बांध का जलस्तर 1680 फीट से ऊपर पहुंच गया था। आमतौर पर बांध का जलस्तर सितंबर तक ही इस स्तर पर पहुंचता था, लेकिन इस बार यह समय से पहले ही पार हो गया।
इस असामान्य स्थिति ने बांध की संरचनात्मक अखंडता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञ लगातार बांध के झुकाव और जलस्तर पर नजर बनाए हुए हैं। बांध के सुरक्षा मानकों और दबाव सहन करने की क्षमता का लगातार आकलन किया जा रहा है।
यह घटना इस बात का संकेत है कि जलवायु परिवर्तन और असामान्य मौसम पैटर्न बड़े बुनियादी ढांचों के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। बांध प्रबंधन को अब पारंपरिक समय-सीमा और स्तरों से हटकर सोचने की आवश्यकता है। भाखड़ा बांध का यह संकट एक राष्ट्रीय चिंता का विषय बन गया है।
