India News: आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य भैयाजी जोशी ने दिवाली मिलन कार्यक्रम में महत्वपूर्ण बयान दिए। उन्होंने कहा कि भारत को इजरायल की तरह आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों का मजबूती से सामना करना चाहिए। धर्मांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की जरूरत पर बल दिया।
इजरायल मॉडल पर जोर
भैयाजी जोशी ने इजरायल का उदाहरण देते हुए भारत के लिए सबक सुझाए। उन्होंने कहा कि देश को स्वावलंबी और सशक्त राष्ट्र बनना होगा। आंतरिक और बाहरी दोनों तरह की चुनौतियों का दृढ़ता से सामना करना जरूरी है। इसके लिए सजग रहने की आवश्यकता पर जोर दिया।
धर्मांतरण पर सख्त रुख
जोशी ने धर्मांतरण पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की। समाज के सभी वर्गों से इस दिशा में संकल्प लेने का आह्वान किया। दिवाली मिलन कार्यक्रम में उन्होंने यह बात रखी। मौजूद लोगों ने उनके विचारों को सुना।
वैश्विक स्तर पर भारत की छवि
आरएसएस नेताने कहा कि पूरी दुनिया भारत को नई नजर से देख रही है। विदेशों में रहने वाले भारतीय अपनी संस्कृति पर गर्व करते हैं। भारतीय मूल्यों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है। यह देश के लिए गौरव की बात है। भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि हो रही है।
स्वाधीन भारत में जन्म का सौभाग्य
जोशी ने कहा कि स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाले सभी लोग भाग्यशाली हैं। आजादी को बनाए रखना सामूहिक जिम्मेदारी है। देश के विकास में सभी की भागीदारी जरूरी है। नागरिकों को राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए। यह हम सबका कर्तव्य है।
संतुलित विकास पर जोर
उन्होंने कहा कि देश में केवल भौतिक विकास पर्याप्त नहीं है। मानसिक और सांस्कृतिक विकास भी जरूरी है। रचनात्मक निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। समग्र और संतुलित विकास ही लक्ष्य होना चाहिए। इससे समाज का सर्वांगीण विकास संभव है।
कार्यक्रम में उपस्थित लोग
इस दिवाली मिलन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। संघ के प्रांत प्रचारक डॉक्टर शैलेंद्र भी उपस्थित थे। प्रान्त प्रचार प्रमुख संजय और विभाग प्रचारक धनंजय ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन पवन शर्मा ने किया। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर विचार
भैयाजी जोशी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि देश को सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। आंतरिक सुरक्षा मजबूत करने पर जोर दिया। बाहरी खतरों से निपटने की तैयारी जरूरी बताई। इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
