Punjab News: पंजाब में पंचायतें भंग करने का फैसला पंचायत विभाग के दो अधिकारियों को भारी पड़ गया है। राज्य सरकार ने वीरवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बैकफुट पर आकर इस फैसले को वापस ले लिया, लेकिन इसके कुछ घंटों बाद ही उन दो अफसरों पर निलंबन की गाज गिरा दी, जिन्होंने पंचायतें भंग करने के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी।
राज्य के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा द्वारा जारी आदेश के अनुसार 1994 बैच के आईएएस अधिकारी धीरेंद्र कुमार तिवारी और 2009 बैच के आईएएस गुरप्रीत सिंह खैरा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के प्रावधानों के नियम 3(1) के अधीन कार्रवाई की गई है। निलंबन के दौरान दोनों अधिकारियों का मुख्यालय चंडीगढ़ रहेगा।
धीरेंद्र तिवारी जलापूर्ति एवं सैनिटेशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और ग्रामीण विकास एवं पंचायतें विभाग के वित्त आयुक्त के रूप में तैनात थे जबकि गुरप्रीत सिंह खैरा ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक और एक्स-आफिसियो स्पेशल सेक्रेटरी के अलावा मगसीपा के मिशन निदेशक के रूप में कार्यरत थे।
पंचायत भंग करने का फैसला रद्द होना लोकतंत्र की जीत: बाजवा
पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा पंचायतें भंग करने का फैसला वापस लिए जाने को पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के सीनियर नेता प्रताप सिंह बाजवा ने लोकतांत्रिक संस्थाओं की जीत करार दिया है।
वीरवार को जारी बयान में बाजवा ने कहा कि आप सरकार को ऐसा अलोकतांत्रिक फैसले को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि इसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। पंजाब कांग्रेस ने भी इस अतार्किक फैसले के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए इसे कई मंचों पर उठाया था। उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि नकली क्रांतिकारियों (आप) को अपना लापरवाही भरा निर्णय वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने कहा कि हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों की विश्वसनीयता निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है, जो सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करती है, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हों इसलिए आम आदमी पार्टी को लोकतांत्रिक मूल्यों से छेड़छाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है।