शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

बेंगलुरु पुलिस: फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, अमेरिका-कनाडा के नागरिकों को बनाया निशाना

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Karnataka News: बेंगलुरु पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारकर सोलह लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह अमेरिका और कनाडा में रहने वाले लोगों को निशाना बना रहा था। आरोपियों ने पार्सल में नशीले पदार्थ मिलने का झूठा आरोप लगाकर पैसे वसूले। पुलिस ने यह कार्रवाई शहर के एक पॉश इलाके में की।

गिरफ्तार किए गए आरोपी पांच अलग-अलग राज्यों से हैं। इनमें महाराष्ट्र के आठ, मेघालय के चार और ओडिशा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल व गुजरात से एक-एक व्यक्ति शामिल है। यह कॉल सेंटर पुलिस स्टेशन से मात्र दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहा था धोखाधड़ी का नेटवर्क

बेंगलुरु पुलिस आयुक्त सीमांत कुमार सिंह ने बताया कि यह गिरोह विदेशों में सक्रिय बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। कर्मचारी भारत से संभावित पीड़ितों की पहचान करते थे। इसके बाद अमेरिका या कनाडा में बैठे उनके साथी उन्हें ठगते थे। यह कॉल सेंटर पिछले एक साल से अधिक समय से चल रहा था।

आरोपी अमेरिकी और कनाडाई जांच एजेंसियों के नाम का इस्तेमाल करते थे। वे पीड़ितों को नकली गिरफ्तारी वारंट दिखाकर डराते थे। इसके बाद उनसे पैसे निकलवाने की कोशिश करते थे। पुलिस को शक है कि देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे कॉल सेंटर चल रहे होंगे।

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कर्मचारियों को मिलता था महीने का 22 हजार रुपये वेतन

कुछ कर्मचारियों ने पुलिस को बताया कि उन्हें महीने में 22 हजार रुपये वेतन मिलता था। इसमें खाने और रहने की सुविधा शामिल थी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्हें नकद में कमीशन भी दिया जाता था। कर्मचारियों को जॉब पोर्टलों पर बीपीओ के नाम से विज्ञापन देखकर नौकरी मिली थी।

उन्हें दफ्तर में ही प्रशिक्षण दिया गया था। इसके बाद उन्हें इंटरनेट कॉल के जरिए विदेशी नागरिकों से ठगी करने का काम दिया गया। ज्यादातर कर्मचारी स्नातक भी नहीं थे। उन्हें कंप्यूटर पर पहले से तैयार स्क्रिप्ट दी गई थी।

कर्मचारियों पर थे सख्त प्रतिबंध

कर्मचारियों को किसी से बात नहीं करने के निर्देश दिए गए थे। उन्हें रात की शिफ्ट में काम करना होता था। काम खत्म होने के बाद उन्हें वापस उसी आवास में लौटना होता था। दोबारा काम पर आने पर उन्हें दफ्तर में ही खाना दिया जाता था।

इसके बाद दफ्तर का शटर बंद कर दिया जाता था। दफ्तर के बाहर कोई बोर्ड नहीं लगा था। कंपनी के मालिक अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। पुलिस ने जांच के लिए सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए हैं।

नकली दस्तावेजों का करते थे इस्तेमाल

आरोपी पीड़ितों को अमेरिकी अदालतों के नकली गिरफ्तारी आदेश दिखाते थे। एक दस्तावेज पर यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट लिखा होता था। इसमें केस फाइल नंबर और वारंट नंबर दिया होता था। नीचे गिरफ्तारी वारंट लिखा होता था।

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दस्तावेज में मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और धोखे से चोरी जैसे आरोप लिखे होते थे। इसमें अधिकारी का नाम और बैज आईडी भी दिया होता था। कॉल के दौरान यह अधिकारी पीड़ित से पूछता था कि क्या यह पहली बार है जब उन्होंने इस केस के बारे में सुना है।

पुलिस ने जब्त किए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

पुलिस ने जांच के लिए सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए हैं। इन में 41 कंप्यूटर सिस्टम, 41 मॉनिटर और 40 सीपीयू शामिल हैं। इसके अलावा 41 माउस, 41 कीबोर्ड और 41 एजीए केबल भी बरामद किए गए हैं।

पुलिस ने 82 पावर केबल, 21 एलएएन केबल और दो अटेंडेंस रजिस्टर जब्त किए। चार नोटबुक, 25 मोबाइल फोन और पहचान पत्र भी मिले। एक ईपीएबीएक्स डिवाइस, चार डी-लिंक स्विच और चार राउटर भी जब्त किए गए।

बीपीओ दफ्तर की दीवारों पर छह देशों के समय क्षेत्र दिखाने वाली घड़ियां लगी थीं। वहीं एक छोटे से फ्रेम में सोचना बंद करो, काम शुरू करो लिखा पोस्टर लगा था। पुलिस ने इमारत मालिकों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।

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