26.1 C
Delhi
शनिवार, जून 3, 2023
spot_imgspot_img

बेलारूस के राष्ट्रपति का दावा: रूस उनके मुल्क में तैनात कर रहा परमाणु हथियार

Click to Open

Published on:

Click to Open

Belarus News: राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको का कहना है कि रूस ने उनके मुल्क में परमाणु हथियारों को तैनात करना शुरू कर दिया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस साल मार्च महीने में बेलारूस में टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन तैनात करने का ऐलान किया था. 

हालांकि, अभी तक रूस की ओर से इस पर कोई बयान नहीं आया है. रूस के दौरे पर गए लुकाशेंको ने कहा कि परमाणु हथियारों की बेलारूस में तैनाती शुरू हो गई है. 

Click to Open

बता दें कि लुकाशेंको और उनकी सरकार को पुतिन का कट्टर समर्थक माना जाता है. दिलचस्प बात यह है कि बेलारूस की सीमा यूक्रेन और रूस दोनों से लगती है. रूस और लुकाशेंको के बीच हुई सहमति के तहत रूस, बेलारूस की जमीन का इस्तेमाल लॉन्चपैड के रूप में करेगा. 

बता दें कि परमाणु हथियारों को दो कैटेगरी में बांटा गया है. एक है- स्ट्रैटजिक और दूसरा- टेक्टिकल. स्ट्रैटजिक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल लंबी दूरी के लिए किया जाता है. ज्यादा तबाही मचाने के लिए किया जाता है. दूसरी ओर, टेक्टिकल परमाणु हथियार कम दूरी के लिए और कम तबाही मचाने के लिए होता है.

पुतिन और लुकाशेंको गहरे दोस्त

एलेक्जेंडर लुकाशेंको और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अच्छे दोस्त माने जाते हैं. पुतिन की तरह ही लुकाशेंको भी सोवियत संघ के टूटने से नाराज थे. बताया जाता है कि लुकाशेंको एकमात्र सदस्य थे जिन्होंने सोवियत संघ के विघटन के खिलाफ वोट दिया था.

सोवियत संघ के टूटने के बाद बेलारूस भी अलग देश बन गया. 1994 के राष्ट्रपति चुनाव में लुकाशेंको ने वादा किया कि वो बेलारूस को गड्ढे से निकालेंगे. इस चुनाव में लुकाशेंको ने 80 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए थे. लुकाशेंको 1994 से ही बेलारूस के राष्ट्रपति हैं. 2020 में लुकाशेंको लगातार छठवीं बार बेलारूस के राष्ट्रपति चुने गए थे.

पहली बार रूसी सीमा के बाहर परमाणु हथियार

जब सोवियत संघ एक था, तो उसके परमाणु हथियार सदस्य देशों में तैनात थे. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद यूक्रेन, बेलारूस और कजाकिस्तान समेत बाकी सदस्यों ने सभी परमाणु हथियार रूस को सौंप दिए थे.

इसके बाद से रूस ने अपनी सीमा के बाहर कभी भी परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की. पुतिन ने शनिवार को कहा कि बेलारूस में हथियारों की तैनाती करने का फैसला परमाणु अप्रसार संधि का उल्लंघन नहीं है.

परमाणु अप्रसार संधि पर सोवियत संघ ने भी दस्तखत किए थे. ये संधि कहती है कि कोई परमाणु संपन्न देश किसी गैर-परमाणु देश को न तो परमाणु हथियार दे सकता है और न ही इन्हें बनाने की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर सकता है. हालांकि, परमाणु संपन्न देश गैर-परमाणु संपन्न देश में परमाणु हथियारों को तैनात जरूर कर सकता है, लेकिन उसका कंट्रोल अपने पास ही रखना होगा.

अमेरिका ने यूरोप में भले ही टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन तैनात कर रखे हैं, लेकिन उनका पूरा कंट्रोल उसके पास ही है. इसी तरह बेलारूस में टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन तैनात होने के बाद उनका कंट्रोल रूस के पास ही होगा.

रूस के पास कितने हथियार?

रूस के पास कितने टेक्टिकल परमाणु हथियार हैं? इसका कोई आंकड़ा नहीं है. हालांकि, अमेरिका का मानना है कि रूस के पास ऐसे दो हजार हथियार हो सकते हैं. जबकि, अमेरिका के पास ऐसे 200 हथियार ही हैं.

इन हथियारों को मिसाइल, टॉरपिडो और बमों के जरिए गिराया जा सकता है. हवा, पानी और जमीन पर इसका इस्तेमाल होता है. इतना ही नहीं, इन्हें किसी खास इलाके में भी ले जाया जा सकता है और वहां पर विस्फोट किया जा सकता है.

अमेरिका ने अपने टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन कई यूरोपीय देशों में तैनात कर रखे हैं. ये हथियार इटली, जर्मनी, तुर्की, बेल्जियम और नीदरलैंड्स में हैं. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इन हथियारों का वजन 0.3 से लेकर 170 किलो टन तक है.

कितने खतरनाक हैं ये हथियार?

परमाणु हथियार कितने खतरनाक होंगे और इससे कितनी तबाही होगी? ये उनके साइज पर निर्भर करता है.

विश्लेषकों का मानना है कि स्ट्रैटजिक परमाणु हथियारों को ज्यादा तबाही मचाने के लिए तैयार किया गया है, जबकि टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल कम तबाही के लिए होता है. लेकिन टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार भी कम तबाही लेकर नहीं आते.

इन हथियारों से होने वाले नुकसान का अनुमान लगाना हो तो उसकी तुलना हिरोशिमा में गिरे परमाणु बम से की जा सकती है. हिरोशिमा पर 15 किलो टन का बम गिरा था और उससे डेढ़ लाख लोगों की मौत हो गई थी. जबकि, अमेरिका ने यूरोप में जो सबसे बड़ा टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन तैनात किया है, उसका वजन 170 किलो टन है.

कोल्ड वॉर के बाद अमेरिका और रूस, दोनों ने ही अपने परमाणु हथियारों की संख्या कम कर दी थी, लेकिन अब भी दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार इन्हीं दोनों देशों के पास है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट का अनुमान है कि रूस के पास 5,977 और अमेरिका के पास 5,428 परमाणु हथियार हैं.

Click to Open

Your Comment on This News:

Latest news
Click to Openspot_img
Related news
Please Shere and Keep Visiting us.
Click to Open